हिंदी भगवद्गीता | Hindi Bhagawadgeeta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.78 MB
कुल पष्ठ :
484
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गीताका परिचय ।
व की
गीताश्रयेडहंतिामि, . गतामेचोत्तमंप्रहमू ।
गातिज्ञाचमुपाशित्य, चील्लोकान्पालयाम्यहमू ॥
हक
मैं गोताके आखय परदही रकता हाँ, गौताछो सेरा परमोत्तम घर
है और में गोताके ज्ञानका आश्रय लैकरदी त्रिलोकौका भरणपोषण
करता हूं ।
और भी कहा है--
चिदानन्देनक्रप्णेन ,ओक्ता स्वसुखतोउर्जुनस ।
बेदन्रयपिरानन्दा, ... ॥
गौता स्त्रयं परन्नह्मरूप चिंदानन्द स्रोक्षष्यने अपने मुखसे
अरजुनकों सुनाई है ; इससे यक् वेदत्रयौ-रूप, कमंक्ारडमय और
सदा श्रानन्द तथा तत्वज्ञान कौ देनेवालो है ।
चिचारनेको बात है कि, जिस गोताके वक्ता स्तयं पूर्णत्रह्म
खौक्तष्ण हैं; स्रोता श्रज्ुं-सरीखे सद्दाधुरन्धर तेजस्वी और जितेन्द्रि-
य पुरुष हैं और कर्ता व्यास जैसे महात्मा हैं, भला
उसके भवन्नी, त्रयतापनाशिनो और तत्ताधथज्ञानदायिनी दोनमें क्या
संशय है ?
इसमें तो कोई सन्द छृद्ी नहीं है, कि गोतासे बढ़कर ज्ञानका
कोई: दूसरा ग्रन्थ नहीं है । इसको समझकर पढ़नेसे मनुष्य ज्ञान-
सिदि प्राप्त करता है, और अन्तमें जन्म-मरणसे छुटकारा पाकर
न्नह्मरूप छो जाता है। जो मनुष्य-देह पाकर इस गौतारूपी
अस्तको नहीं पीता, वच्च अस्त छोड़कर विष पौता है; अत-
एव जिन्हें जन्म-मरणके क्ट्से छुटकारा पाना 'इो, जिन्हें संसार-
सागरसे तरना हो; वे गौताको समभ कर पढ़ें-पढ़ावें, सने' और
सुनावें । अं
मोताका विषय कठिन है। इसमें ज्ञानकों बातें हैं । ज्ञानकी बातें
बिना समझे, बिना बुद्धि लड़ाये, साथे में नक्ीं घुसतीं । जो. बात
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