ह्रदय हिलोर | Hriday Hilor

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Hriday Hilor by श्री विकल जी - Shree Vikal JI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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माँगा है न मांगूँगा मैं, मांगता हूं वर मात, शारदे च सार आज, सारे काज सारदे । घारदे हदय `घीर, साहस गंभीरता फो, यचीरता भरन चाली, चीरता प्रसार दे ॥ काम क्रोध लोभ मोह, दम्भियों को दूर कर, -गल में 'बिकल' -के विजय माल डार दे । चारदे न तीन दे न, दो दे एक दी को दे हू, , कर तलवार दे कि, संर कर धार दे ॥ [ १७ |] दानी महादानी चर-दानी चर दायनी. दे, सिंह वाहनी तू दाहिनी ह्ये होत बार है । मांगना न जान में न,माँगने को झाया सात, शीश मेट लाया सुत, प्रेम उपदार है ॥ तूभी मौन मैं भी मौन विकल है दोनों ज, एक दी है ध्येय और, एक ही विचार है । तुमसे न मांगू बोल, किससे मैं मांगू फिर, मां से मांगना हो जन्म, सिद्ध धिकार ह ॥। [ सत्रदद |




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