डॉक्टर की उलझन | Doctor Ki Uljhan
श्रेणी : नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
216
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पहला श्रंक १७
म गृजारना चाहो, तो मै तुम्हे श्रपनी मोटर में एक घंटे की
नोटिस पर ले जाऊंगा ।
रोजन : तो तुम दौलत के श्रम्बार मे ऐश करते हो ! काश, तुम सुझे
भी दौलत कमाने की तरकीब सिखा दो । इसका राज बता
सकते हो ?
-शुत्तमेकर : श्रोह, मेरे केस मे इसका राज बहुत भ्रासान-सा था,
हालाकि मै सोचता हूं कि अगर इसपर लोगो का स्याल जाता
तो मै सुसीबत मे पड़ जाता । भ्रौर मुभे डर है कि तुम सुनकर
इसे श्रखलाक के खिलाफ समभोगे ।
रीजन : मेरे दिल में ऐसा कोई तश्नास्सुब नही है । हां, तो वह राज
क्याथा?
शुत्चमेकर : दरग्रसल वह राज सिफं दो लफ़्ज थे ।
रीजन : कन्सत्टेशन फरी' तो नही, क्यो ?
शुत्तमेकर : (हैरान होकर) नही, नही । क्या सच तुम एेसा सोचते हो ?
रजन : (क्षमाशील भाव से) कतई नहीं । मै तो सिफं मजाक कर
रहा था ।
शुत्जमेकर : मेरे तो सिफं दो सीघे-सादे लफ्ज थे-- दातिया इलाज ।*
रीजन : रातिया इलाज !
शुर्ज्मेकर : हा, दतिया इलाज । आखिरकार, एक डाक्टर से लोग
यही तो चाहते हैं, है न ?
रीजन : मेरे प्यारे लूनी, यह् बड़ ऊचे इन्सपिरेशन की वात है । क्या
ये लप्ज तुमने पीतल की प्लेट पर खुदवा लिए थे ?
-शयुत्जमेकर : पीतल की प्लेट मेरे पास नही थी । दुकान की लाल
खिड़की पर काले हरफों से लिखवाया था मैने तो । डाक्टर
ण
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