डॉक्टर की उलझन | Doctor Ki Uljhan

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Doctor Ki Uljhan by जॉर्ज बर्नर्ड शॉ - George Barnard Shaw

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला श्रंक १७ म गृजारना चाहो, तो मै तुम्हे श्रपनी मोटर में एक घंटे की नोटिस पर ले जाऊंगा । रोजन : तो तुम दौलत के श्रम्बार मे ऐश करते हो ! काश, तुम सुझे भी दौलत कमाने की तरकीब सिखा दो । इसका राज बता सकते हो ? -शुत्तमेकर : श्रोह, मेरे केस मे इसका राज बहुत भ्रासान-सा था, हालाकि मै सोचता हूं कि अगर इसपर लोगो का स्याल जाता तो मै सुसीबत मे पड़ जाता । भ्रौर मुभे डर है कि तुम सुनकर इसे श्रखलाक के खिलाफ समभोगे । रीजन : मेरे दिल में ऐसा कोई तश्नास्सुब नही है । हां, तो वह राज क्याथा? शुत्चमेकर : दरग्रसल वह राज सिफं दो लफ़्ज थे । रीजन : कन्सत्टेशन फरी' तो नही, क्यो ? शुत्तमेकर : (हैरान होकर) नही, नही । क्या सच तुम एेसा सोचते हो ? रजन : (क्षमाशील भाव से) कतई नहीं । मै तो सिफं मजाक कर रहा था । शुत्जमेकर : मेरे तो सिफं दो सीघे-सादे लफ्ज थे-- दातिया इलाज ।* रीजन : रातिया इलाज ! शुर्ज्मेकर : हा, दतिया इलाज । आखिरकार, एक डाक्टर से लोग यही तो चाहते हैं, है न ? रीजन : मेरे प्यारे लूनी, यह्‌ बड़ ऊचे इन्सपिरेशन की वात है । क्या ये लप्ज तुमने पीतल की प्लेट पर खुदवा लिए थे ? -शयुत्जमेकर : पीतल की प्लेट मेरे पास नही थी । दुकान की लाल खिड़की पर काले हरफों से लिखवाया था मैने तो । डाक्टर ण




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