समता स्वाध्याय सौरभ [भाग १] | Samata Swadhyaya Saurabh [Part 1]
श्रेणी : अन्य / Others
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
।॥ इच्छामिणं भंते का पाट १ ॥
इच्छामि णं भते ! तुब्भेहि श्रब्भणुण-राए
समाणे देवचियं' पडिक्कमरं ठाएमि, देवसिय-णाण-
दंसरण-चरित्ता-चरित्त तव-प्रइयार-चितणत्थं करेमि
काउस्सगगं ।
विधि-तत्पश्चात्-गुरुदेव को 'तिक्सुत्तो' के पाठ से
चन्दना करके 'प्रथम आवश्यकः की आज्ञा लेवे । पहले
'सामायिक आवश्यक मे खड-खड -नवकार मन्त्र, करेमि
मते श्रौर “इच्छामि ठामि (पान २) की पाटी बोले ।
इसके बाद तस्स उत्तरी की पाटी बोलकर काउस्सग्ग' करे ।
काउस्सगग मे ६६ अतिचार की पाटिया अर्थात् आगमे तिविहे
(पाठ न ३); दशेन सम्यक्त्व (पा न ४), बारह त्रतो
के अतिचार (पाठ न ५), छोटी सलेखना (पा न ६),
धप्रठारह पाप स्थान (पान ७) ग्रौर इच्छामि ठामि
(पान २) मन मे कहे । काउस्सग्ग मे सभी पाटियो के
अन्त मे मिच्छामि दुक्करड' के बदले श्रालोड ' कहे । फिर
णमो श्ररिहन्ताण' ेसा प्रगट कहकर ध्यान खोले । वाद
मे नवकार मन्त्र रौर काउस्सम्ग शुद्धि का पाठ (पा न
८) वोले । यहा पहला 'सामायिक श्रावश्यक' समाप्त हुश्रा ।
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