समता स्वाध्याय सौरभ [भाग १] | Samata Swadhyaya Saurabh [Part 1]

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Samata Swadhyaya Saurabh [Part 1] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३ ) ।॥ इच्छामिणं भंते का पाट १ ॥ इच्छामि णं भते ! तुब्भेहि श्रब्भणुण-राए समाणे देवचियं' पडिक्कमरं ठाएमि, देवसिय-णाण- दंसरण-चरित्ता-चरित्त तव-प्रइयार-चितणत्थं करेमि काउस्सगगं । विधि-तत्पश्चात्‌-गुरुदेव को 'तिक्सुत्तो' के पाठ से चन्दना करके 'प्रथम आवश्यकः की आज्ञा लेवे । पहले 'सामायिक आवश्यक मे खड-खड -नवकार मन्त्र, करेमि मते श्रौर “इच्छामि ठामि (पान २) की पाटी बोले । इसके बाद तस्स उत्तरी की पाटी बोलकर काउस्सग्ग' करे । काउस्सगग मे ६६ अतिचार की पाटिया अर्थात्‌ आगमे तिविहे (पाठ न ३); दशेन सम्यक्त्व (पा न ४), बारह त्रतो के अतिचार (पाठ न ५), छोटी सलेखना (पा न ६), धप्रठारह पाप स्थान (पान ७) ग्रौर इच्छामि ठामि (पान २) मन मे कहे । काउस्सग्ग मे सभी पाटियो के अन्त मे मिच्छामि दुक्करड' के बदले श्रालोड ' कहे । फिर णमो श्ररिहन्ताण' ेसा प्रगट कहकर ध्यान खोले । वाद मे नवकार मन्त्र रौर काउस्सम्ग शुद्धि का पाठ (पा न ८) वोले । यहा पहला 'सामायिक श्रावश्यक' समाप्त हुश्रा ।




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