Sahitya Pradip by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मावृभूमि ५ २--क्या क्या उपकार मातृभूमि ने हमारे साथ किए हैं श्रौर करती है ! २--इमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है ! यहाँ कर्व श्रपनी कया इच्छा प्रकट करता है ? ४--मातुभूम का कैसा रूप यहाँ प्रथम हंद म चरित किया गया है? ५--द० न° ९ श्रौर ३ का सान्वय भावाथं लिखी | ६--विशेष « बनाओ ओर प्रयोग करो- सुख, खेलना, शेष, पून, प्रेम । ७--छु० न० ३ को निया. चुना श्रर उनके रूप श्न्य पुरुप सामान्य भविष्य, रौर परभूत में लिखो। ८--इस कविता # केठाग्र करो आर इसी प्रकार को मातृभूमि या भारत-परेम पर कद दुसरी कविता सुनाश्नो | ६--म्या झन्तर है सोदाइरण लिखो- श्रन्न- अन्य, विविध--विजुध, देह--दाह, सृमन~-सु मन, समन । १०--प्रत्यय या उपसग लगाकर विविध शब्द बनाओ-- मन, भाव, शान्ति, सन, रूप । ११--सविग्रदं समाध श्र ग्रथ लिखों श्रोर पर्यायवाची शब्द बताशओं-- भव-बंधन-मुक्त, विर्वपालिनीः खषोपम, प्रत्युपकार, जीवनाघ।र । संकेत- १--प्रथम छंदगतत रूपक को स्पष्ट करना तथा इसी प्रकार झन्य रूपकं रचना रौर श्चानां । २--ऐसी झन्य कविताएँ चुनना-घुनाना ।




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