गृहस्थ धर्म [भाग 2] | Grihastha Dharma [ Part 2]
श्रेणी : दार्शनिक / Philosophical, धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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भन की
नर
7 य ईी
सत्य का महत्त्व
सपना व्र
५
सच्चंमि धिष कुव्वहा । एस्थोवरए
मेहावी सव्वं पावं कम्मं मोड ॥
--अआ० सूत्र श्रु
यथावस्थित वस्तुस्वरूप को प्रकट करने वाला सत्य ही है ।
मागं का परित्याग करके, जो मनुष्य त्याय को श्रहण करता है 'और
उसके पालन में .धेयं रखता है, वदी तत्त्वदर्शी, सव पाप कर्मों का
नाश करता है ।
शाख के उक्त प्रमाण से प्रकट है कि सत्य सवं पापो का नाश
करने बाला है । चिना सत्य को अपनाये, वे कर्म जो अनन्त काल
से जीव को घेर रहे हैं, दूर नहीं होते । तात्पर्य यह है कि, पापों का
नाश करके स्वर्गापरि सुखों को प्राप्त कराने वाला सत्य ही है ।
संसार में प्रत्येक मनुष्य घ्म का इच्छुक होता है और '्पनी
श्मात्मा का कल्याण चाहता है । श्रात्मा का कल्या धर्म से ही होता
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