गृहस्थ धर्म [भाग 2] | Grihastha Dharma [ Part 2]

Grihastha Dharma [ Part 2] by श्री जैन जवाहर मित्र मंडल, व्यावर

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| भन की नर 7 य ईी सत्य का महत्त्व सपना व्र ५ सच्चंमि धिष कुव्वहा । एस्थोवरए मेहावी सव्वं पावं कम्मं मोड ॥ --अआ० सूत्र श्रु यथावस्थित वस्तुस्वरूप को प्रकट करने वाला सत्य ही है । मागं का परित्याग करके, जो मनुष्य त्याय को श्रहण करता है 'और उसके पालन में .धेयं रखता है, वदी तत्त्वदर्शी, सव पाप कर्मों का नाश करता है । शाख के उक्त प्रमाण से प्रकट है कि सत्य सवं पापो का नाश करने बाला है । चिना सत्य को अपनाये, वे कर्म जो अनन्त काल से जीव को घेर रहे हैं, दूर नहीं होते । तात्पर्य यह है कि, पापों का नाश करके स्वर्गापरि सुखों को प्राप्त कराने वाला सत्य ही है । संसार में प्रत्येक मनुष्य घ्म का इच्छुक होता है और '्पनी श्मात्मा का कल्याण चाहता है । श्रात्मा का कल्या धर्म से ही होता




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