विदेशों में जैन धर्म | Videshon Me Jain Dharam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
112
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विदेशों में जैन धर्म शक
जैनों ने स्वभावत: मन्दिरों के साथ-साथ स्तूप भी बनवाये थे और
अपनी पंवित्र इमारतों के चारों ओर पत्थर के घेरे भी लगाये थे। जैन
साहित्य मे अनेक स्तूषों के होने के उल्लेख मिलते हैं। जैनाचार्य जिनदत्त
सूरि के जैन स्तूपौ मे सुरक्षित जैन शास्त्र भंडारो में से कुछ जैन ग्रंथों के
पाये जाने का भी उल्लेख मिलता है। जैन साहित्य में तक्षशिला, अष्टापद,
हस्तिनापुर, सिंहपुर, गांधार, कश्मीर आदि में भी जैन स्तूपों का वर्णन
मिलता है । मौर्य सम्राट सम्प्रति ने अपने पिता कुणाल के लिए तक्षशिला में
एक विशाल जैन स्तूप बनवाया था । मथुरा का जैन स्तूप तो विश्व विख्यात
था ही। चीनी बौद्ध यात्रियों फाहियान, हएनसाग आदि ने अपनी यात्राओं
के विवरणो मेँ उनके समय मे जैन धर्म के इन भारत व्यापी स्तूपो को.
धमन्धिता के कारणं अथवा अज्ञानतावश अशोक निर्मित बौद्ध स्तूप लिख
दिया! यद्यपि सारे भारतवर्ष मे सर्वत्र जैन मन्दिर ओर स्तूप विद्यमान थे
तो भी उन बौद्ध यात्रियो के सारे यात्रा विवरणों मे जैन स्तूपो का विवरण
नहीं मिलता। जहां-जहा इन चीनी यत्रियो ने जैन निर्ग्रन्थ श्रमणो की
अधिकता बतलाई है ओर उन निर्ग्रथो का जिन-स्तूपों तथा गुफाओं में
उपासना करने का वर्णन किया है, उन्हे भी जैन का होने का उल्लेख नहीं
किया । यद्यपि यह बात स्पष्ट है कि जिन स्तूपो ओर गुफाओं में जेन निर्ग्रथ
श्रमण निवास करते थे, वे अवश्य जैन स्तूप ओर जैनः गुफायें होनी
चाहिये।
कश्मीर नरेश सत्यप्रतिज्ञ अशोक!25 महान. मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त,
मौर्य सम्राट सम्प्रति. सम्राट खारवेल, नवनन्द, कांगडा नरेश आदि अनेक
प्रतापी जैन महात्मा ओर सम्राट हुए है जिनके समय मे अनेक जैन
गुफाओं, मन्दरो, तीर्थो ओर स्तूपो के निर्माण के उल्लेख भारतीय साहित्य
ओर शिलालेखों मे भरे पड़ है । तो भी धर्मान्धिता-वशं इन बौद्ध यात्रियों ने
किसी भी जेन स्तुप अथक जैन गुफा आदि का उल्लेख नहीं किया तथा
वे तो सभी जैन स्तूपो को बीद्ध स्तूप मान कर चले! कवि कल्हणकुत
कश्मीर के 'इतिहास राजतरगिणी में भी वहां के जैन नरेशों द्वारा अनेक
जैन स्तूपो के निमणि का वर्णन मिलता है। जैन आगमों में - जैन शास्त्रों
मे तौ जैन स्वपो के निर्माण के उल्लेखं अति प्राचीन काल से लेकर आज
तक विद्यमान 25 हैं।
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