षट्खंडागम | Satkhandagam

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Satkhandagam by हीरालाल जैन - Heeralal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४ ) विषय प्रष्ठ जघन्य श्रायुवेदनाका अल्पबहुस्व ३८ जघन्य नामवेद्नाक्रा अत्पबहुस्व ३६ जघन्य गोन्रवदनाका अस्पवरहूुप्व ३६ जघन्य वेदनीयवेदनाका अस्पब्रहुस्व ३६ उत्कृष्ट आयुवेदनाका अटुपबहुत्व ३६ उत्कृष्ट दो आचरण चौर श्नन्तरायवेदनाका अस्पवदहुरव २६ उत्कृष्ट मोह नीयवंद नाका अल्पबडुत्व ३६ उत्कृष्ट नाम और गोत्रवेदनाका अलपबहुत्व ३६ उत्कृष्ट बेदनीय वेद नाका 'अल्पबहुत्व ४० उत्तर प्रकृतियों की अपेक्षा झटपबहुत्व ४० सातावेदनीय आदि प्रकृतियों का अट्पबहुत्व ४० आठ कपाय च्रादि प्रकृतियांका अस्पवहुत्व ४२ अयशःकीति श्रादि प्रकृतियों का अटपबहुत्व ४४ चौंसठ पदवाला उत्कूप्ट महादण्डक ४४ उत्तर प्रकृतियोँका स्वस्थान उत्कृष्ट अल्पबहुत्व ६० तीन गाथादओं द्वारा संज्वलन चतुप्क आदि प्रकृत्तियों का 'झरपबहुत्व ६५ चौसठ पद वाला जघन्य महादण्डक ६५ उत्तरप्रक्तियोंका स्वस्थान जघन्य श्म ल्पबहुस ५५ प्रथम चूलिका ७८-८७ दो सूत्र गाथाओंद्वारा गुणश्रणि निर्जराफे ग्यारह स्थान और काल ७८ अलग अलग सूत्रों द्वारा गुणश्रणि निर्जराका विचार =9 अलग अलग सूत्रों दवार। गुणश्रेणि निजराक करालका विचार ८५ द्वितीय चूलिका ८७-२४० अनुभागवन्धाध्यवसानस्थानमं १२ अनु- यागद्वारोंकी सूचना = बारह श्चतुयोगद्रारोके नाम व उनकी साथकता मम विषय एक एक स्थानम कितने चच्रविभागप्रति- च्छेद होते हैं अनुभागका विशेष खुलासा अधिभागप्रतिच्छेदका स्पष्टीकरण द्रब्यार्थिकनयकी अपेक्षा जवन्य स्थानमें अधिभाग प्रतिच्छंदोंका विचार वर्गका संहृष्रिपूवक विचार बर्गणाविचार स्पधेकविचार सअविभागप्रतिच्छेदकी त्रिविध प्ररूपणाकी प्रतिज्ञा वर्गणाप्रहूपणाके तीन प्रकार व उनका विवचन स्पधेक प्ररूपणाकरे तीन प्रकार च उनका विवचन अन्तरप्ररूपणाके तीन प्रकार व उनका विवेचन परमाणुझोंमें अधिभागप्रतिच्छेदोंका आरापकर जघन्य स्थानमें प्रदेशप्ररूपणा प्रदेशप्ररूपणामें छह अनुयागद्वारोंके नाम च संदृष्टिपूवक उनका विवचन करनेकी प्रतिज्ञा प्ररूपणा प्रमाण श्रेणिप्ररूपणाके दो भेद व उनका विचार अवहारविंचार भागाभागका अवद्दारक समान जाननेकी सूचना अत्पबहुत्वथिचार स्थानप्ररूपणा स्थानपद्की व्याख्या स्थानक दा सेद्‌ व उनका लक्षणपू्ैक विशेष विचार अन्तरप्ररूग्णा अन्तरप्ररूपण।की साथेकता स्थानान्तरका स्वरूप ६१ ६१ हरे ६२ ६२ ६५ ६६ ६६ १०१ १०१ १५१ १५२ १०२ १८४ ५६० ११८ १११ १११ १११ ११४ ११४ ११४




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