भारतीय - संस्कृति भाग - 1 | Bharatiy - Sanskriti Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[१० | संक्षिप्त रूप में की हूं। इस प्रकार हमारी संस्कृति और हमारे देश के भूगोल मं निकटतम सम्बन्ध हं । हम पूरे देश को भारतवषं कह कर मातु- भूमि की भावना को विकसित करते ह। इस देश को वह कमंभूमि माना गया हं जिसके साथ भारतीयों के समस्त कायं एवं प्रयत्न विह्छेषतः अवश्य संबंधित होंगे । भारतीय संस्कृति पर भूगोल का जो प्रभाव पड़ा क्र हं उसकी जटिलताओं का अध्ययन हम विष्णुपुराण में कर सकते हु । हमें इस बात का सदेव ध्यान रखना चाहिये कि हमारे देश के इतिहास में जो घटनाएं घटी है उनमें से अधिकांश उसके भूगोल से प्रभा- वित हूं। यूतान के हिपोक्रेटिस से लेकर भगोल के समस्त पंडितों ने पवं- तोध क्षेत्रों के देशों के निवासियों को विनख्र, भद्र, साहसो और उच्च कहा हू और भूगोल के प्रभाव पर जोर दिया हैं । लडियन फेवर के दाब्दों में “मन्‌ष्य का अस्तित्व प्रथम हूं एसा भूगोल के विद्वानों को कहना चाहिए । उसके स्वभाव, उसके विशेष चरित्र तथा उसके रहन-सहन का तरीका इस बात के आवश्यक परिणाम नहीं हे कि वह किस वातावरण या परिस्थिति कक में रहा हु। ये परिस्थिति या वातावरण की उपज नहीं है । सनृष्य इन्हें अपने साथ लेकर चलता हू और जहाँ जाता हें साथ ले जाता है। वे उसकी प्रकृति के परिणास ह । हमे अंधविश्वास कै साथ यह न कहना चाहिए कि अमुक प्रदेश ने अपने निवासियों को अमुक रहन-सहन का तरीका अपनाने को बाध्य किया । बल्कि यह कहना चाहिए कि किसी देश की आकृति को संगठित व व्यवस्थित तरीकों से कायं करते हुए इसी प्रकार क्रमिक पोडढ़ियों तक अधिकाधिक शस्तिपूबेक उनकी जड जमाते हए, आने वाली पोढ़ी के लोगों पर अपनी छाप हालते हुए और सभी प्रगतिशील दाक्तियों पर निदिकत ढंग पर अपनाते हुए पूर्णतः बदला जा सकता हे।” मनुष्य तया वातावरण इनमे सन्‌ष्य को प्राथमिकता देनी होगी । भारतीय संसृति पर जातिगत प्रभाव ऊपर हमन अध्ययन किया कि भारत के भूगोल ने उसकी संस्कृति को कसे प्रभावित किया । जहाँ तक जातिगत प्रभाव का प्रश्न ह, यह भी भारतीय संस्कृति के उस स्वरूप के लिये उत्तरदायी है जिसको उसबे ` शताब्दियों से गुजरते हुए प्राप्त किया है । संस्कृति के विषय में आधारभूत, ““




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