भारतीय खाद्यान्नो के पौष्टिक मान | Nutritive Values Of Indian Foods
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारतीय खाद्यार्ती के पौष्टिक मान 5
अधिकतम खाद पदार्थों में प्रोटीन होते हैं, परन्तु माता भिस्त-मिर्न होती
हू । मास, मर्छपी और श्रष्डा जैसे पशुजन्य नोजनो मे प्रौटीन प्रचुर मात्रा में
मिलते हैं । दूध को भी हम प्रोटीन-प्रघान भोजन सान सकते है, यदि दूध में पानी
कै अज्ञ पर ध्यान न दिया जाए । वानस्पतिक भमोजनो में दालें श्रौर गिरोवाले
फल प्रोटीन के सर्वोत्तम स्रोत हैं ब्रौर कई बार तो इनमें प्राटीन की मात्रा मास-
भोजनों में विद्यमान प्रोटीन की माना से मी श्रघिक पाई जाती है} इस सम्बन्ध
में सोयाबीन एक बेजोड पदार्थ है । सोयावीन मे प्रोटीन की मात्रा चालीस रत्ति
सते मौ विक है । साधारण अन्त, जेसे गेह श्रौर चावल) सापेक्तया प्रोटीन के
चटिया प्राप्ति-स्थान है । ता भी इन अननो वो मात्रा का विचार करते हुए जो
साधारणतया प्रतिदिन खपत में श्राती है, हम कह सकते है कि मनुष्य को देनिक
प्राटीन-्राप्तिमे इन श्रनाजा वा योगदान भी वहू श्रधिक है । चावल में गेह की
अपेक्षा कम प्रोटीन होता है परन्तु चावल का प्रोटीन बढ़ियां किस्म का होता है ।
श्रनाजो केः ऊपरी पतं मोतरी मण्डपय गिरी की श्रपेक्षा श्रेधिक प्रोटी न-गरमित होते
है ग्रौर इसी कारण जब गेहू या चावल बहुत श्रधिक पीस दिया जाता है तो'
उसके प्रोटीन श्रौर विटामिन तथा सनिज लवण जैसे झ्न्य पोपव-ततव कु साधा
मे नप्ट हो जाते है । पत्ती तथा जठ वाली सब्शिया ब्ौर फल प्रोटीन के वहुत ही
टिया प्राप्ति-स्रोत है ।
खली जो तिलहन मे से तल निकालने के बाद रह जाती हैं, प्रोटीन-प्राप्ति
का एक घटुत ही सुन्दर माध्यम है ! यह खली भ्रमी तके जानवरों का भोजन
मानी जाती थी अथवा खाद के काम श्राती थी | रव गत वर्पौ मे मोन प्रस्ता
धन विधि में सशोवन किये जाने के कारण यही खली मनुष्यो के मोजन-पदा्थं के
रूप में उपलब्ध होने लगी है ।
प्रोटीनो का जेदिक सान
किसी 'मोजन का प्रोटीन-मान निश्चित करने के लिए उस सोजन की प्रोटीन
मात्रा देखने के श्रतिरिक्त हमें यह मी निर्धारित करना होता है कि उस भोजन में
जो प्रोटीन है उनके पोषक गुण क्या-क्या है । भिनत-सिस्त मोजनो मे विद्यमान
प्रोटीन भिन्न मन्न पापण-उपयोगिता रखते है क्योकि प्रोटीन में उपस्थित ऐ मिना,
एसिडो या श्रम्लो के सघटन मे भिन्नना पाई जाती है । ऊतक प्रोटीन के निर्माण
तथा प्रतिस्थापन मे ऐपिनों-एसिड ईंट का काम करते हैं। इसलिए जितना ही
प्रोटीन स्थित ऐमिनो-एसिड ऊतकों के प्रोटीन से मिलता-जुलता होगा उतनी ही
प्रधिक उस्रकी उपयोगिता मानी जाएंगी ।
दैनिक श्राठार के पराटीन भे साघाररात्तया बीस के करीब ऐमिनो-एसिड
पाये जाते ह । इनमे से कुं ऐमिनो-एसिडो की मागों को शरीर स्वय ही ऐमिनों
एसिडो भे से परस्पर भ्रस्त, परिवर्तन द्वारा शोर दुछ झप्रोटीन स्रोतों से प्राप्त कर
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