महिलाओं की दृष्टि में पुरुष | Mahilaon Ki Drishti Men Purush
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पुरुषोत्तम आसोपा - Purushottam Aasopa
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बनाए रखते हुए उन्हे विशिष्ट आनन्द की अनुभूति करा सके । स्तरीय साहित्यिक
उपन्यास की अपेक्षा जासूसी, घटना-प्रधान, अविश्वसनीय कया प्रसगो वाले
उपन्यासी वी माग यह मिद्ध करती है तरि पाठक चाहे जितना शिक्षित ही कया न हों
वह सदव उपन्यासवार से अपने मनोरजत के साधनों की पूर्ति चाहना है । किन्तु जब
लेसब उपन्यास के भाध्यम से अपने विचार प्रस्तुत बरने लगता है तब वह पाठकों
वी शपेक्षाओं की उपेक्षा कर जाता है । अत उपन्यास के माध्यम से अपनी राज-
नीतिक, सामाजिक, धामिक मात्यताओं या जानकारियों वा निरूपण वरने के प्रयास
में लेखक पाठवीय जिज्ञासाओं का अपशमन वर देता है ।
लेखकीय विचाराभिव्यक्ति के सम्बन्ध में सामान्य घारणा यह है कि यदि बहू अपने
विचार उपन्पास में प्रकट ब रना चाहता है तो उसे सचेत चलाकार वी भाँति कथा-
प्रवाह थी वाया न पहुँचाने वाले प्रसगो के द्वारा ही ऐसा करना चाहिए ।
डॉ. गणेशन वें अनुसार अगर वथा ठोकर खाए बिना ठीक तरह मे चलती हो तो
उसके साथ थोड़ी चहुत राजनीति और फ्लॉमफी को सहन किया जा सकता है ।
ऐसी दशा में भी यहूं भावश्यक है वि विपय के साथ न विचारों का दूध-पानी का
सा मिलन हो जाप 17
लेखक के विचारों के प्रतिनिधि-पात्र
अधिकाश उपन्यासकार अपने विचारों के प्रकाशन के लिए प्रूथक् कथा-प्रसगो,
भायणो के स्थान पर पात्रों का सहारा लिया बरते हैं। बसे भी उपध्यास के पात्र
लगाव बे चाहे-अनचाहे उसके विचारों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। पात्रों के
व्यक्तित्व निर्माण में उसके स्वय के अनुभव तो वार्य करते ही है चरिनो के वारे में
उसके पूर्वाग्रहो, रचिधो-अरचियो थ विचारों वा भी अत्यत महत्त्व होता है । कभी-
कभी तो पानों वे बारे में लेखक की निजी धारणाओो का दवाव इतना प्रवल हो जाता
है कि लेखक उनको अभिव्यक्त विए विना नही रह सकता है । यद्यपि उपन्यास ते
स्वरूप थी दृष्टि से यह बोई अच्छी दात नही है फिर भी ऐसे पास में लेखक के
व्यक्ति विशेष के प्रति की धारणाओं को समभा जा सकता है ।
लेखिकाओ के पुरुप पान
हिन्दी उपन्यास लेखिवाओ के उपन्यासों मे जो पुरुप पान चितित हुए हैं बे अप्रत्यक्षत
उपरि उ तवित मिदधान्त दे आधार पर यथायं जगत् मे लेखिकाओ के पुरुप त
म्रति घारणाओ को सकेतित वर जाते हैं । एवं सनी के रूप में ये लेखिकयाँ पुरुप के
बारे में क्या विचार रपती है उसी का अवन करना प्रस्तुत शोध-प्रबस्थ का प्रयोजन
है।
लेखिकाओ के उपन्यासों मे चयनित बथा-विषय 15
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