महासमर परिचय भाग २ | Mahasamar Parichaya Vol. Ii

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Mahasamar Parichaya Vol. Ii by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ना की पराजय फा हग तथा फ्रान्स की सरकार पर गरा प्रभाव पड़ा ! हैंगलेंड के प्रधान मन्त्री चैम्बरतैन ने त्याग पत्र दे दिया श्रौर भि चिल प्रधान मन्त्री बने । फांमीसी मंत्री मंडल में भी खलबली मच गई थी । प्रधान मंत्री रेनाह फ्रांसीसी प्रघान सेनापति जनरल मैमलिन न | | मारशच्येनां फ्रास के ' भूतपूष्ं प्रधान मन्त्री तथा बिची सरकार कै प्रधान नेना | के मित्र थे अतः जब उनके हटाये जनिका प्रश्न फ्रान्खीसी मंत्री-मंडल के सामने उपस्थित हुआ ता डालेडियर ने त्याग पत्र देने की धमकी दी । ९ मई को फ्रान्सीसी मंत्री-मंडल में भी पणु बादा विवाद होता रददा और लगभग आधी रात को बैठक स्थात की गई दूसरे दिन नया मन्त्री-मंडल बनने को था | १० मई को जमेन सेनाओं ने बेलिजयम, दालेंड और ल्क्सेमबग पर प्रातः काल आक्रमण कर दिया । चाक्रमण के कारण मन्त्री-मंडल बदल न सका | गैभलिन को अपने पद पर रने का पूण जिश्वास न था भतः जद्दी में बह अपनी सेना का ठोक संगठन ण्डमिग्ल दालन विचासरकार के प्रधान | तथा विभाजन न कर सका । बेटिजियम और फ्रान्स से सहायता मांगी गई । प्रथम जमेन आओफक्रमण क पश्चात ही फ्रान्सीसी तथा ब्रिटिश सेनि निदर- स पटच गईं । फ्रान्सने श्चपनी र्चा ॐे लिये यैजिनों लाइन बनाई थी यह लाइन आवेधनीय थी परन्तु केवल पूर्वों भाग में थी । फ्रान्स पर जमेन सेना ने लक्सेमबर्ग श्र बेलिजयम के माग से घ्ावा किया | बेल्जियम सीमा पर किले बन्दी अवश्य थी पर बह अधिक हढ़ न थी । १४ मई को सेदान स्थान पर मैजिनों लाइन को शत्र सना ने तोड़ दिया और पंखे की भांति. फैलकर भीतर फैलती हुई समुद्र तट की मार बढ़ी | इससे मित्र सेना पर भीषण प्रभाव पढ़ा । पाँच द्नि भोर संमाम करने के पश्चान हालंड न अपने अआत्म समपण कर दिय । जब यह मभा- चार पेरिस पहुँचा तो वां बड़ी स्वव सच गई | १: मई को संध्या समय फ्रॉल की सरकार ने एक घोषणा निकाल कर पेरिस को सेनिक क्षेत्र मे भिल्ला लिया नगर के द्वारों पर सेनिक पहरेदार लगा दिये गये और विदेशी नागरिक पकड लिये गये । उसी संध्या को भि० चिल पेरिस गये और मिस्टर रनाड़, डाह्डियर तथा गैमज़िन से बात चीत की । १५ मह को फ्रान्स में जमेन आक्रमण का सीमा श्षेत्र १० मील से बढ़ाकर ९० मोल कर दिया गया । ज्मन सेनाओं ने लेकैट्यू ओर लाचपेल पर अधि- कारकर जिया अर रेमेल के उत्तर पहुँच गई। र्थेल में १९ इसार फ्रान्सीसी सना पकड़ी गई । १८ मई को जर्मन सेना ऐस्ने नदी पर पहुँच गई और चेनल तट के बन्द्रगाहों की ओर बढ़ी ताकि बेल्जियम में लड़ने वाली मित्र सेनाष्यों को फ्रान्स




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