कालिदास के गीति काव्यों का कथ्य एवं शिल्प | Kalidas Ki Giti Kavyon Ka Kathya Avam Shilp

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Kalidas Ki Giti Kavyon Ka Kathya Avam Shilp by रेखा मिश्रा - Rekha Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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9 साहित्य प्रेमी आगे बढ़े हैं । सच तो यह है इस प्रकार के नए अध्ययनों के कारण ही हमारा कालिदास एक विश्व कोवे के रूप में प्रीताष्ठत हो चुका है । इस विश्व कोवे को लेकर नाना दिशाओं - में- अध्ययन [किए गए हैं । इन अध्ययनों ने कालिदास के बारे में सदा ही एक नयी उभिखचि की जन्म दिया है और कुछ न कुं नए विचारो को उनतजत कया है । महाकवि पर फेए इन आधुनिक अध्ययनों को हम मुख्यत: [निम्न दिशाओं में वरगीकृत कर सकते है :- 1...... अनुवादात्मक अध्ययन : कितने ही देशी और विदेशी कवियों ओर विद्वानों ने कालिदास की कुतियां के आधुनिक भाषाओं में अनुवाद केए हैं । इन अनुवादों के माध्यम से महाकवि की कुतियों का साहित्यिक महत्त्व पहचानने में और उनका कलात्मक मह-्त्व समझने में बढ़ी सहायता ५ नै मिली है । भारत थें; उन्तर में ।हमालय से लेकर दाक्षण मेँ कुमारी अन्तरीप तक एक भी ऐसा शिक्षत भारतीय [मिलना कठेन है जिसने कालिदास के काव्य का कोई सगे या उसके नाटक का कोई अंक न पठा ही | भारतीय अध्येताओं की तो बात ही बया जो थी विदेशी कालेदास संहित्य के संपके में आया वह उसका दीवाना हो गया । जब तक उसने कालिदास की रचना को अपनी भाषा में नहीं ले लिया, उसे चैन नहो मिला । इस सबके फलस्वरूप कालिदास जिसे प्रकार गंगा-गोदावरी के तटों पर पटा जाता है, वैसे ही राइन और टॉम्स नदी के किनारे शी पदा जाने लगा । सर वलयम जान्स, जिन्होंने सवे प्रथम पारेचम्‌ को कालिदास का पारेचय कराया, को उसमें भारत का शेक्संपयर देखादे दिया ।. महान दाशैनिक और कांप गोथे को कालिदास का पारेचय कराया, को उसमें भारत का शेक्सपियर दिखादे देया । महान दाशेनिक ओर कवि गोथे को कालिदास कौ कविता में एक साथ धरती ओर स्वगै का आनन्द मिला, ए. वी. हंवोल्ट कीं वह 1 1{ 14111111 4 111} ज आतान जा म जा ति जा मात भ म त ज ज ण मत मम सा मण गो मा म मि भा भ म भि म म [क प 1 1 नली खयाल काम सपा पंवार पक पाल सेदापनव बता विन पॉमिनसफका (रमेश अमर पलक मल कफ नेप कललले वरना बंनन 1. गोपाल रघुनाथ नन्दरगीकर : मेषदूत, प्रस्तावना 32




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