डॉ राममनोहर लोहिया एवं डॉ भीमराव अम्बेडकर का राजनितिक चिंतन | Dr Rammanohar Lohia Yom Dr Bhimrav Ambedahar Ka Rajnitik Chintan

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
402 MB
कुल पष्ठ :
512
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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लोहिया की तुलना मार्क्स व गाँधी से की गयी है। अध्याय 16 और 19 में डॉ.
` लोहिया का आर्थिक अनुचिन्तन, 17वें अध्याय में भाषायी दृष्टिकोण एवं हिन्दी का
स्थान, 18वें अध्याय में रामायण मेला के बारे में डॉ. लोहिया के विचारों की
व्याख्या की गयी है। धार्मिक विचारों की व्याख्या अध्याय 20 में है इसमें कहा गया.
कि लोहिया ईश्वरवादी नहीं थे, मन्दिरों में उनकी आस्था नहीं थी, वे नास्तिक थे।
फिर भी, वे उन ईश्वरवादियों, तिलकधारियों और आस्तिकों से श्रेष्ठ थे जो स्वार्थ
लोभ, प्रपंच-छल आदि दुष्प्रवृत्तियों पर पर्दा डालने के लिये उन आवरणों का प्रयोग
करते थे। अध्याय 25 में 'सांसद लोहिया' शीर्षक के अन्तर्गत लोहिया के द्वारा
संसद सदस्य के रूप में दिये गये विचारों की व्याख्या है जिसमें देशा की आन्तरिक
स्थिति के अतिरिक्त विदेश नीति या अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति- पाकिस्तान, चीन एवं
अन्य देशो के बारे मे लोहिया के दृष्टिकोण का वर्णन है। अध्याय 26 में डॉ. लोहिया
..... द्वारा लिखे गये पत्र, 27 में डॉ. लोहिया के व्यक्तिगत पत्र, 28 में डॉ. लोहिया के
अग्लभाषी पत्र तथा 29 मँ ड. लोहिया के मन्तव्य को प्रस्तुत किया गया है।
अध्याय 30 में डॉ. लोहिया के जीवन का घटनाक़म तथा अन्त में अध्याय 31 में डॉ. `
लोहिया द्वारा लिखे गये पुस्तकों एवं ग्रन्थों का उल्लेख किया गया है। `
'लोहिया के विचार” नामक ग्रन्थ ओंकार शरद द्वारा सम्पादित एक ऐसी |
पुस्तक है जिसमें डॉ. लोहिया के विचारों को एक ग्रन्थ में प्रस्तुत करने का प्रयास
किया गया है। इस ग्रन्थ के प्रारम्भ में विषय-सूची के रूप में 'अनुक्रम' तथा उसके `
बाद 'आमुख' प्रस्तुत किया गया है। इसमें लेखक ने लिखा है कि, “मूलतः लोहिया
राजनीतिक विचारक, चिन्तक ओर स्वप्नदृष्टा थे, लेकिन उनका चिन्तन राजनीति
तक ही कभी सीमित नहीं रहा।* व्यापक दृष्टिकोण, दूरदर्शिता उनकी चिन्तन धारा
की विशेषता थी। राजनीति के साथ-साथ संस्कृति, दर्शन, साहित्य, इतिहास, _
भाषा आदि
अ 1
ओंकार शरद द्वारा सम्पादित, लोहिया 4 या के विचार, लोकभारती प्रकाशन, 15-ए, महात्मा
गधी मार्ग, इलाहाबाद- 1 (1969)
के बार मे उनके मोतिक चार थ। लोहिया कौ चिनतन-धारा कमी
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