अलग थलग जिंदगी | Alag Thalag Jindagi

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
115
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फ लिए चनी पूनियां यपने घरसे त्ति स्माह उधए-व्रवा उरि
एक पतते से धागे से बांध कर मं गूठे पर पते -वो ष बन-नसे भीय कर
उठाने लग जाता था 1
सूपारों की यतोड़ में सकड का एक मत बोर की माता पडा रहता
था, जिसे जवान भा भा कर उठाते रहते थे । रुप चद याती हर वन
>जदानों की बातें करता रहता था । जो जवान माला *नहीं उदा
शक्ते थे था गर्भ फाल पर ठीक से घन नहीं सगा सबते थे उनतीं
रूप चदद यिल्ली उडाता था 1
धपड़े को गेंद वा पेल भो यूद उमठा था । दंगे हो यह खेत
बच्ची था हो माना जाता था, लेकिन कर्भी कभी जदान भी खेतने सगे
* छाति थे । धच्चों थे देलने लायक हर भी दटुत से छोटे-सोटे ऐत थे ।
उन सब मी याद मेरे जटन में बुरी तरह समाई हुई है ।
तेबिन बाज न सो बनदारी आर ऐतारास पहपवानी ररते हैं, ने
एन चेते चादे । रुपचद याती तो गाव छोड गया है। उसी जगह
दूरे षो खाती आए हैं, उन देचारों से तो हन को पास भी दही
मुश्वितत से उठाई जाती है । दहद पटते वाला बु भी नहीं रहा--सारे
गाव में बदददी दोई नहीं खेलठा । दद गोदरे छोटेनटोटे दच्चों
शो दब इटडी छेलना ही नहीं आता 1
'घोरात-गसी में डा बही भी सोग मिलते हैं। बातें बाएए था
जनता पार्टो थी होगी हैं था फिर ढाइश्दद थोडों को शिएलत वा रहा
रोपायानाहै 1 राजनीति के दारण ही गाय में दो पा४ हो बुरी है--
शुभ दार्टी के द्ादमी थी दूसरे के साथ दोपदल हो दर है। एससी
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