अलग थलग जिंदगी | Alag Thalag Jindagi

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Alag Thalag Jindagi by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फ लिए चनी पूनियां यपने घरसे त्ति स्माह उधए-व्रवा उरि एक पतते से धागे से बांध कर मं गूठे पर पते -वो ष बन-नसे भीय कर उठाने लग जाता था 1 सूपारों की यतोड़ में सकड का एक मत बोर की माता पडा रहता था, जिसे जवान भा भा कर उठाते रहते थे । रुप चद याती हर वन >जदानों की बातें करता रहता था । जो जवान माला *नहीं उदा शक्‍ते थे था गर्भ फाल पर ठीक से घन नहीं सगा सबते थे उनतीं रूप चदद यिल्‍ली उडाता था 1 धपड़े को गेंद वा पेल भो यूद उमठा था । दंगे हो यह खेत बच्ची था हो माना जाता था, लेकिन कर्भी कभी जदान भी खेतने सगे * छाति थे । धच्चों थे देलने लायक हर भी दटुत से छोटे-सोटे ऐत थे । उन सब मी याद मेरे जटन में बुरी तरह समाई हुई है । तेबिन बाज न सो बनदारी आर ऐतारास पहपवानी ररते हैं, ने एन चेते चादे । रुपचद याती तो गाव छोड गया है। उसी जगह दूरे षो खाती आए हैं, उन देचारों से तो हन को पास भी दही मुश्वितत से उठाई जाती है । दहद पटते वाला बु भी नहीं रहा--सारे गाव में बदददी दोई नहीं खेलठा । दद गोदरे छोटेनटोटे दच्चों शो दब इटडी छेलना ही नहीं आता 1 'घोरात-गसी में डा बही भी सोग मिलते हैं। बातें बाएए था जनता पार्टो थी होगी हैं था फिर ढाइश्दद थोडों को शिएलत वा रहा रोपायानाहै 1 राजनीति के दारण ही गाय में दो पा४ हो बुरी है-- शुभ दार्टी के द्ादमी थी दूसरे के साथ दोपदल हो दर है। एससी स्थिति ¢ टनटनोभे नदर ष्टा तिषाक, च, मरी को हो दुनी में हम हो उस देन लाश बाते बोर धदाएं बेरार केटै। त ष




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