तत्त्वार्थ सूत्र - जैनागम समन्वय | Tatwarth Sutr Jainagam Samanway

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : तत्त्वार्थ सूत्र - जैनागम समन्वय  - Tatwarth Sutr Jainagam Samanway

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आत्माराम जी महाराज - Aatmaram Ji Maharaj

Add Infomation AboutAatmaram Ji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(६) है कि श्वेताम्बर श्रागमों में तत्त्वाथसूत्र के इन सूत्रों की ही व्याख्या की गई हो । इस विषय में यह बात स्मरण रखने की है कि जैन इतिहास के श्रन्वेषण से यह बात सिद्ध हो चुकी दै कि गम प्रन्थों का अस्तित्व उमास्वाति जी महाराज से मी पहले था इसके श्रतिरिक्तं तत्वार्थसूत्र श्रौर जेन श्रागमों का छध्ययन करने से यह स्वतः ही प्रगट हो जावेगा कि कौन किस का ्नुकरण हे । अ्रतएव सिद्ध हुआ है कि आगमों का स्वाध्याय अवश्य करना चाहिये, जस से सम्यग्दशन, सम्यकूज्ञान श्रौर सम्यक्‌चा रित्र की प्राप्ति होने पर निवाशपद की प्राप्ति हो सके । श्रन्त में श्रागमाभ्यासी सज्नों से श्रनुरोध है कि वे कहां पर यदि कोई त्रुटि देखें या किसी स्थल में झागमपाठों के साथ किये गये समन्वय में कुछ न्यनता देखें श्रौर उन की दृष्टि में कोई ऐसा श्रागम पाठ दो जिससे कि उस कमी की पर्ति हो सके तो वे




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now