युगादिजिन - देशना | Yugadijin Deshna

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Yugadijin Deshna by विनयश्री महाराज - Vinayshree Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयातनुकर्म सस्या विषय १--भरत चक्रवर्ती से उद्विग्न हो कर ९५कश्यः- का युगादि प्रयु के पासं जाना, वहां उनको प्रभु ने दिया हुआ उपदेश ˆ“ *` २--्रमु ने बतढछाया हुआ कपषाय का त्याग और इस विषय पर सकपाय कुटुम्ब का दिया हुआ रट्रान्त ॐ कि की के की की के के के थी ® ® छ ३--एक भव में अनेक भव करने वाछी काम- छक्ष्मी की कथा | के केक ७9 के क ४ के के क प--मोदद का त्याग बताने के लिये अभव्य आदि पांच कुछपुत्रों का दृष्टान्त *-° ˆ `: ५--उसी विषय पर सरस्वती, देवदिन्न और प्रियणु सेठ का रंड्ान्त के के ७ कक के के के के ६-:इसके अन्तगंत कपटगभित धमपद्द्य भी ५३ से ७० ७० से १०१ नहीं देना चाहिये, इस पर धनी की कथा १०१ से १३२ ७--छक््मी की चपरता पर रत्नाकर सेठ का दृष्टांत १३३ से १४५ ८--छक्ष्मी की चपढता पर शुचिवोद्र और श्रीदेव की कथा ˆ“ ˆ“ ˆ *** १४५ से १०५५, कि




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