युगादिजिन - देशना | Yugadijin Deshna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषयातनुकर्म
सस्या विषय
१--भरत चक्रवर्ती से उद्विग्न हो कर ९५कश्यः-
का युगादि प्रयु के पासं जाना, वहां उनको
प्रभु ने दिया हुआ उपदेश ˆ“ *`
२--्रमु ने बतढछाया हुआ कपषाय का त्याग और
इस विषय पर सकपाय कुटुम्ब का दिया
हुआ रट्रान्त ॐ कि की के की की के के के थी ® ® छ
३--एक भव में अनेक भव करने वाछी काम-
छक्ष्मी की कथा | के केक ७9 के क ४ के के क
प--मोदद का त्याग बताने के लिये अभव्य आदि
पांच कुछपुत्रों का दृष्टान्त *-° ˆ `:
५--उसी विषय पर सरस्वती, देवदिन्न और
प्रियणु सेठ का रंड्ान्त के के ७ कक के के के के
६-:इसके अन्तगंत कपटगभित धमपद्द्य भी
५३ से ७०
७० से १०१
नहीं देना चाहिये, इस पर धनी की कथा १०१ से १३२
७--छक््मी की चपरता पर रत्नाकर सेठ का दृष्टांत १३३ से १४५
८--छक्ष्मी की चपढता पर शुचिवोद्र और
श्रीदेव की कथा ˆ“ ˆ“ ˆ *** १४५ से १०५५,
कि
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