गान्धिचरितम | Gandhicharitam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
274
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीगान्धिचरितमहाकाव्यप्रकाशने
कृतसुदढसाहाय्यस्य
भौविडलावंशस्य
प्रशस्तिः ।
श
स्वगेपरतिच्छायमनत्पमन्यगुखलया या नगयी पिलानी
स्वाभाविक वैरमपस्य हार्दाच्िदया वसन्त्या च गिरोपपन्ना ॥
सज्ञस्थान की पिलानो नगयै समी श्रेएठ गुखो का भवन ओर स्वम
की प्रतिमूर्ति है । उस नगरी पर नुराग के कारण श्रपते तैस वैरभाव
को दूर कर लद्मी चौर सर्वरी दोनों एक साथ दी वदँ निवास कती ई!
र
तामध्यवार्सीन्मतिमानुदारैगुी: स्वकीयैजंगति प्रतीतः ।
र्ठ सुिद्ान् शिघश्ब्दपूर्वो नारायणो धम॑व्रिदा वरि ॥
( पहले किसी समय ) उस पिलानी मे सेठ श्रो शिव्रनारायण दास
चिडला जो निवास करते थे । वे बडे ही मतिमान; विद्वान अपने उदार
गुर्णों से ससार मे सुपरिचित एवं धर्मवेत्ताओ में सर्ोत्तम थे ।
३
तसादमूच्छीवलदेवदासो तर्येव साक्ञाद्रविन्दनाभात् ।
' मान्यः सता यो विडल्लान्यत्रयपद्याशुप्राज्ली तनयः सु वीक्ष. ॥
जेषे साक्तात पद्यनाभ विष्णु से ( उनके नाभि-कपमल पर ) ब्रह्मज
धपपन्न हुए थे, वैसे ही उन ( सेठ श्री शिवनारायणुदास विदल ) मे
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