ब्रह्मविलास | Brahmvilas

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Brahmvilas by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(वव /व थय 4 | १. न जज जज. ६००५०९०९०१ = देखत देव इदेव सवै अग, राग विरोध धरै उर दो है। ताहि विचारि विचक्षन रेभन (क देखु तो देखत को दै।१३॥ सुनो राय चिदान॑द कोजु सुद्धि रामी, कँ कहा बेर बेर नैकु तोहि लाज है ! कैसी काज कहो कहां हम कटर जानत न, हमै इ- । हां इंद्रनिको विपे सुख राज दै ॥ अरे मूढ विप शख से तू अनन्ती § वेर, अज हँ अधायो नां कामी शषिरताज है। मानुष जनम पाय आरज सुलेत आय, जो न चेत हसराय तेरो ही अकाज ३।१४॥ सुनो मेरे हस एक वात हम सांची कटै, कहो क्यो न नीके को मुख गहु हे । तुम जो कहत देह मेरी अरु नीके राखो कहो कसं देह तेरी रखी ये रहतु है ? ॥ जाति नादिं पति नादि रूपरंग भांति नाहि, रेस श्ट मूढ कोऽ श्रो कहु है । ५ चेतन प्रयीनताई देखी हम यह तेरी, जानिहो जु तब दी ये दुख १ को सहतु हैं ॥ १५ ॥ सुनो जो सयाने नाहु देखो नेकु ढोठा ढाहु, कौन विवसाहु, 9 जाहि ऐसें ठीजियवु हैं। दरा थोंस विपेसुख ताको कहो केतो ॥ ¢ दुख, परिक नरकयुल कोर सीजियतु है ॥ शक कार बीत गयो अजहू न छोर ख्यो, कटं तोहि कहा भयो रसे रीद्रयतु है! आपु ध देखो व कोन ङेखो, आवत परेखो ता कीजियतु ह ॥ १६ ˆ णा मेरो ची मान बहृतेरो कल्यो, मानत न तेरो गयो अ२,य० ययय ५७२२०५० २.२७ वर) कहो कहा किये १। कौन रीन्चि ४ रह्यो १ च शा देसी बातें तमें यासों कहा कहीं चहिये ! । एर मरा राना त कोन है 1 सखी, एतौ वाधुरी विरानी तू न रोस गहिये । (१) दिन, (२) विचारी




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