भारतीय समाज मुद्दे और समस्याएँ | Bhartiya Samaj Mudde Aur Samsyaye

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Bhartiya Samaj Mudde Aur Samsyaye by वीरेन्द्र प्रकाश शर्मा - Viirendra Prakash Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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10 भारतीय समाज : मुद्दे और समस्याएँ नहीं मिल पाता है। अल्प वेतन का काप करने के कारण वे तथा उनकी भावी पीड़ियाँ कार्यकुशलता के अभाव के कारण पीढ़ी-दर-पीढ़ी निर्धनता का जीवन व्यतीत करती ह । प्रत्येक पीढ़ी का चक्र निर्धनता से प्रारम्भ होकर सर्वदा निर्धनता पर ही समाप्त होता है । 5. बेरोजमारी (710९1019 7८ा1)--निर्धनता का एकं प्रमुख आर्थिक कारक बेरोजगारी का विकराल रूप है । पिछले वर्षों मे देश में बेरोजगारी मे भयंकर चूद्धि हुई है 1 जून, 1991 के अन्त तक रीजगार कार्यालय के अनुसार 406 लाख बेरोजगारों के नाम पंजीकृत थे। अनुमान लगाया गया है कि 2002 तक देश में बेरोजगारों की संख्या लगभग 9 करोड़ 40 लाख हो जाने की सम्भावना है । इन परिस्थितियों में शिक्षित बेरोजगारी का विकराल रूप प्रत्तिभा-पलायन को बढ़ावा दे रहा है तथा स्तातको, शिल्पकारों, किसानों, औद्योगिक श्रमिकों, मजदूरों, साक्षरों आदि को निर्धनता कां जीदन व्यतीते करने के लिषएं बाध्य कर्‌ रहा है। (4 ) राजनैतिक कारण (011८8 (8०५९४)--राजनैतिक अस्थिरता भी निर्धनता के लिए उत्तरदायी है । जब राष्ट्र के आर्थिक साधन देश के राजनीतिज्ञों के हाथ में भा जते हैं तो वे स्वयं साधनसम्पन्‍न व्यक्ति बन जाते हैं और केवल धोथे नारौ से, कि 'निर्धनता को समाप्त करो' से निर्धनता को बनाए रखना चाहते हैं । इलीनर ग्राम का मतत है कि निर्धनता निवारण का राजनैतिक नारा उन लोगों को देन है जो स्वयं साधन-सुविधासम्पग्न हैं, निर्धन व्यक्तियों ने ऐसा नारा नहीं लगाया। राजनैतिक अस्थिरता के परिणामस्वरूप भी निर्धनता उत्पन होती है । शवितशाली वर्ग निम्न वर्ग का शोषण करता है । भ्रष्टाचार, कालाबाजारी, मुनाफाखोरौ सब ओर व्याप्त हो जाती है, इससे असन्तोष हो जाता है, इस असन्तोष के कारण उत्पादन गिरता दै, इसके फलस्वरूप व्यापार में उतार-चढाव आता है। कभी-कभी युद्ध के कारण भी अधिक आर्थिक खर्च हो जाता है और राष्ट्र भी दिवालिया हो जाता ईै 1 इस प्रकार, राजनीति अनेक रूपों में निर्धनता के लिए उत्तरदायी मानी जा सकती है । (5 ) अशिक्षा (111प021320%)--निर्धनता का कारण व्यक्तियों की अज्ञानता और अशिक्षा भी है। 1951 में साक्षरता 18 3% से बढ़कर 2001 में 65.38 प्रतिशत हो गई। 2001 में भारत प विर्व में सर्वाधिक निरक्षर 35.55 करोड़ हैं। शिक्षा की कमी के कारण व्यक्ति न तो तार्किक दृष्टिकोण से, और न ही भावात्मक स्तर पर अपनी स्थिति का मूल्यांकन कर पते हैं । ग्रामीणों में साहूकारो द्वारा सदियो से अपना शोषण होते देखकर भी उनमे चेतना उत्पन्न नहीं होती कि वे निरक्षरता का अन्त कर कम-से-कम अपने बच्चों को तो साक्षा बनाएँ। आज प्रत्येक कार्य के लिए शैक्षिक योग्यता आवश्यक है, कृषि, यांत्रिकी, उद्योग, अध्यापन, आयुर्वेद आदि सभी क्षेत्रों में प्रशिक्षण को महत्ता दी जा रही है। यदि समय रहते इस और जागरूकता नहीं लाई गई, तो भारत अस्चानता के कारण ओर निर्धनं रोता जाएगा । लिख-पढ़ कर व्यक्ति में अपना भला-बुरा समझने का विवेक जागृत होता है कि उसे कैसे रोटी-रोजी कमानी है । अत: निर्धनता का महत्त्वपूर्ण कारण अशिक्षा है । ( 6 ) निर्धनता की संस्कृति (010९ ७ 7०४1४) -डेविस इठेश नै मिर्धनता का कारण दशिद्रों के रहने का तरौका या निर्धनता की सस्कृति ताया है 1 गरीबो कै चिश्वास, जीवन्‌ कै तरेके, मूल्य, मानदण्ड, वर्तमान निर्धनतः करै पूर्वजन्य का फल मानना आदि




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