स्वातंत्र्योत्तर कथा - लेखिकाएँ | Swatantrayottar Katha Lekhikaen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रीमती सत्यवत्ती मल्तिक १६ चय पाकर सुग्ध हो उठी 1“ सत्यवती जी कौ यह्‌ कहानी अत्यन्त प्रसिद्ध हुई है मौर अव तक अनेकं प्रतिनिधि कहानी-संकलनों में स्थान पा चुकी है । इसकी सफलता का मुख कारण यह है कि इसका कथानक कल्पित न होकर सत्य की मार्मिकता लिये है। इस विपय मे श्रीमती सत्यवती मल्लिक के लेख “मैं कहानी क्यों और कंसे लिखती हू से यह उद्धरण द्रष्टव्य है--“दौ फूल कहानी सव कल्पना दै केवल एक भाव करो प्रस्फुटित करने कै लिए ) किन्तु “भाई वहिन' में एक लड़की के आँसुओों ने मुके उतना प्रभावित किया मानौ वार-वार कोई अन्दर से कह बैठा-इन्हें समेट लो। यह छोड़ने की चीज़ नहीं है 1 सत्यवती जी ने अ, दृष्टि, अंध, एक फलक, दिन रति, सारी हृदय की साथ जादि अनेक कहानियों में नारी-हृदय की सरलता, भावुकता, मातृत्व की कसक एवं परि- स्थिति-जनित व्यथा के मर्मसुपर्शी चिप अंकित, किए है । उदाहरणाथ 'बुत' एक विधुर जमीदार के घर वेठी हुई वृतनुमा नारी का रेखाचिव्र है । पति की मृत्वु के वाद उसके छोटे भाई से उसका विवाह्‌ हुभा था, उसकी भी मृत्यु पर उसके चचेरे भाई से; किन्तु किसी निरथेक सदेहवश वहाँ से जो निकाली गर्ईतोमकेवासोनेभौनरखा मौर उसे एक विधुर जमींदार के धर उसके तथा उसकी मौसी के कठोर नियन्त्रण में जीवन काटने को चिव होना पडा । इसी प्रकार दृष्टि मे एक एेसी नववधू का करण चित्र हैं जो सृन्दरन हने के कारण पति कै प्रसन्न न कर पारईः^फलतः पति अविना ने उसके खच का प्रवन्ध करक दूसरा विवाहं कर लिया और उससे उत्पन्न पुत्री को पालन-पोपण के लिए एक मित्र कै घर मेज दिया । अनगढ़ प्रकृति की उस देहाती वधू के मन मे सदैव के लिए मातृत्व की कसक व्याप्त हो गई जीर उसकी दृष्टि मे मासिक करुणा ने घेरा डाल लिया । 'माली की लड़की', 'भाई बहिन , साथी , 'बसस्त हैं या पतभड़' शीपंक अनेक कहानियों में लेखिका ने गाहंस्थ्य जीवन की मधुर किया प्रस्तुत की हैं। 'सिद्धर्वा' कहानी में घामिक कथानक का अंकने हुआ है, 'गुड्स ट्रेन' में हास्यरसपुर्ण घटनाओं की आयोजना की गई है मौर “जूनी देदी' में जूनी देदी अर्थात्‌ चाँद माँ की सहदयता का चित्रण हुआ है, जिसने काइ्मीर-यात्रा में थकी लेखिका तथा उसके सहयात्रियों की माहार, आश्रय आदि देकर सेवा की 1 उपर्युक्त विशेषताओं के अतिरिक्त सत्यवती जी की कहानियों के अन्य उल्लेख- नीय गुण दस प्रकार है-- (अ) वे प्रायः आत्मकयन की शैली मे लिखित है (गा) उनमें अनुभूतिजन्य गाम्भीर्य का समावेदा हुआ है, (इ) उनमें करुण रस की मार्मिकता प्राय व्याप्त रही हैं, (ई) कथात्मक मंशों की अपेक्षा उनमें विचारात्मक तथा मावात्मक मंशों का प्रावत्य दै 1 उदिष्ट पातनं के वा्तालाप, हाव-भाव, मनोभाव, अत्तीतकालीन जीवन- घटनाओं, आत्मचिन्तन सादि साधनों से प्रत्येक कथानक का विकास हुआ है। हम १. कहानी, श्रक्तुबर १९४१, पृष्ठ १०६




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