नयी दिशा | Nayi Disha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सकता हूँ 7” प्रशान्त ने पूछा 1 नूर शमि दा करते हैं।” मेण्टोनमेण्ट रोड के चौराहे की साल वत्ती प्र स्वदि वो द्लेक लगाते हुए बडे मियाँ वले, “रस तीन परिये के मजदूर वी क्या तारीफ सरकार--दो टके का गुलाम समझिए । वसे इस नाचीज़ को अख्तर वहते हैं। वसे आाज भी सरकार की ओर से दस रुपये वा वसीकः बेंपा है और लखनऊ थी तवारीख में हमारे युजुर्गों के नाम गिनाये जाते हैं। व से सुना है वि गवनमि ट इस वसी के को बन्द करने पर गौर वर रही है--बया यह सच है गरीवपरवर 7” प्रशात जानता था कि राजाओं के प्रिवीपस बद हों चुके हैं सौर उसका यह अनुमान था कि सरदार सामन्तवाद के अवशेष इन गरीब और पिसे हुए लोगो का भी वंसीवा कभी-न-कमी वद अवश्य करदेगी, पर यह बात कहकर यह उस बुजुग की उम्मीद को तोड़ना नहीं चाहता था । उसने वहा, “अजी भगवान का नाम लीजिए बडे मिया, सरकार क्यो स्वामरवाह आपके हुक को खत्म करेगी * और फिर सरकपर पुराने नवाबों और जमीदारा के असर से भी वाक्फि है--उसे वसीका बद करवे' वंया अपने वोट खोने हैं * ' “छडीक कहते हो बेटा”, बूढ़े रिक्शेवाले के स्वर में प्रदान्त के लिए असीम स्नेह का भाव था, “सभी की तनख्वाहो जौर भत्तो में महंगाई को देखते हुए इजाफा हो रहा है और हमारे वसीफे पचास सालो से वसे ही चले भा रहे हैं। अगर तुम विसी “एमेले को जानते हो तो यह सवाल एसेम्बली में जरूर उठवाना--खुदा तुम्हारा मला करेगा 1” प्रशान्ते ने विधाय निवात पहेवकर बडे मिया को एकं रुपया दिया जिसे पाकर बह्‌ बेहद खश्च हुए \ विधायक निवास के बी माके कमस नम्वर दो सो बारह के सामने जब वह पहुँचा तो उसे अन्दर से बडे जोर के वाद विवाद का स्वर सुनायी पडा । एक चपरासी विस्म के छूटभइये नेता कए कमरे मे आता देस प्रश्ञात ने उससे कहा कि यह श्री राजे रपाल, एम० एल० ए० वा भाई है और रामनगर से आया है । छुठभदये नेता ने तुरन्त सूचना अदर पहुँचायी और श्री राजे द्रपाल फौरन बाहर आये । “कहो प्रशात, ठोक हो *” प्रशात के चचेरे भाई राजे द्रपाल ने = में अत




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