मेरी जीवन - गाथा भाग - 1 | Meri Jeevan Gatha Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
639
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){ १९)
स्वर्गीया जमती बस्सोदेवी ;
सौमाग्यसे आपको धर्मपत्नी भीमती बस्तीदेवौ भी भापके स्वभावके
अनुरूप मिलो थीं और प्रत्येक धार्मिक कार्यमें आपको उत्साहित करती
रहती थीं । खेद है कि गत १८ जून १९६६ को आपका समाधि पूर्वक
स्वर्गवास हो गया । आपको कैसरकी बोमारो हो गई थी, जो लगमग
एक वर्षतक रही ओर अन्तमें वही उनकी घातक हुई । लालाजीने अच्छे-
, अच्छो डाक्टर्ोते उनका इलाज कराया भौर अनेकविषं उपचार किये ।
पर उन्हें कराल कालये बचाया न जा सका । आपके वियोगसे लालाजी-
को असष््य दुःख हमा । पर आपने अपने विवेक, शास्त्र-शान ओर धेयंते
उसे सहन किया । श्रोमती वस्सीदेवीजी बड़ी बामिक, दयालु, सदुदय
और उदार नारी-रत्न थीं ) अपनो दक् पुत्रो सौ, सुहीा देवी, उनके
बच्चों और दामाद बा० जानचन्द्रजी पर तो अपूर्व स्नेह रखती हो थीं,
अपने अधोन नौकर-वाकरों, गरोब माई-बहिनों और अनाथ बच्चों
पर मी उनका सदा स्नेह और करुणाका प्रवाह प्रवाहित रहता था ।
जैसा कि ऊपर कहा गया है कि आपके पिंता आ० छाजूरामजो थे,
जो हिसारमें असिस्टेष्ट स्टेशन मास्टर थे और जो रेवाड़ीके निवासी थे ।
आपके दो भाई ओर एक बहिन हैँ । भाईमोंकि नाम हूँ--१. ला० मुझा-
लालजी, २. ला० शीतलप्रसादजी और बहिनका नाम है--धोमती
कलावतोजी । आपका जन्म पोह बदो ८ वि० सं० १९६४५ में हुआ था
और स्वर्गवास भआषाद़ वदी १५ विण सं० २०२३ ( १५ जून १६६६)
को हो गया ।
छाक्ाजीका औदाय :
लाला फिरोजीलालजीने उल्लिखित लोकोपकारक कार्योके अलावा अभी
हालमें ४ जनवरों १९६७ को अपनी घर्मपत्नीकी स्मृति में 'बस्सो देवी जैन
चेरिटेषक् अस्पताल' की दरियागंज २१,दिल्लो में स्थापना की है । इसके साथ
ही इस 'मेरो जोवन-गायथा प्रथम भाग' को ३०० प्रतियोंका प्रकाशन+
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