हिन्दी साहित्य का बृहत इतिहास भाग 2 | Hindi Sahitya Ka Bhrhat Itiyash Bhag 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
499
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
धीरेन्द्र वर्मा - Dheerendra Verma
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श्री सम्पूर्णानन्द - Shree Sampurnanada
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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कवियों श्ौर लेखकों का समावेश इतिहास में होगा श्रोर भीवन की सभी दृष्टियों
से उनपर यथोचित विचार किया जायगा ।
(३) साहित्य के उदय श्रौर विकात, उत्क्ष तथा श्रपकर्ष का विवरण,
शंन श्रौर विवेचन करते समय ऐतिहासिक दृष्टिकोण का पूरा ध्यान रला धायया
झर्थात् तिथिक्रम, पूर्वापर तथा कार्य-कारणा संबंध, पारस्परिक संपक्क, संघर्ष,
समस्वय, प्रभावग्रदण, श्रारोप, व्याग, प्रादुर्माव, श्र॑तमाव श्रादिप्रकरियश्रों पर पूरा
ध्यान दिया जायगा ।
{ ४) संतुलन ग्रौर समन्वय । इसका ध्यान रखना होगा कि साहित्य के
सभी पक्षों का समुचित विचार हो सके । ऐसा न हो कि किसी पद्च की उपेक्षा हो
लाय श्रौर किसी का श्रतिरंजन । साथ ही साथ साहित्य के सभी श्रंगों का एक
दूसरे से संतंध श्रीर सार्मजस्य किस प्रकार से विकलित श्रौर स्थापित हुश्रा; इसे
स्पष्ट किया जायगा । उनके पारत्परिफ संधर्षो का उल्लेख शरीर प्रतिपादन उसी
झंश झौर सीमा तक किया 'जायगा जहाँ तक ने सादिस्स के विकास में सहायक
शिद्ध शंगे।
(५) दिंदी साहित्य के इतिहास के निर्माण में मुख्य दृष्टिकोण सादित्य-
शास्त्रीय होगा । इसके श्रंतगत ही विभिन्न साहित्यिक दृष्टियों की समीक्षा श्रीर
समन्वय किया जायगा । विभिन्न साहित्यिक दृष्टियों में निम्निलिखित की
सुख्यता होगी -
क-शुद्ध साहित्यिक हृष्टि । श्रलंकार, रीति; रठ; ध्वनि; व्यंजना श्रादि ।
ख--दाशंनिक ।
ग-सांस्कृतिक ।
घ--समाभशास्त्रीय ।
ङ ~ मानवताकादी श्रादि।
च--विमिन्न रालनीतिक मतवादों श्रौर प्रचारास्मक प्रावो से बचना
होगा । जीवन में साहित्य के मूलस्थान का सरण श्रावश्यकफ होगा ।
छु- साहित्य के विभिन्न कालों में उसके विभिन्न रूपों में परिवर्तन श्रीर
विकास के श्राघारभूत तत्वों का संकलन श्रोर समीक्षणु किया जाधगा ।
ख--विभिन्न मतो की समीक्षा करते समय उपलब्ध प्रमाणों पर सम्पक
विचार किया जायगा । सबसे झ्धिक संतुलित श्रौर बहुमान्य सिद्धांत की श्रोर
संकेत करते हुए भी नवीन तथ्यों श्रौर सिद्धांतों का निरूपण संभय होगा |
भ--उपर्युक्त सामान्य सिद्धांतों को दृष्टि में रखते हुए प्रत्येक भाग के
संपादक श्रपने माग की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करेंगे । संपादक मंडल इतिहात
की व्यापक एकरूपता श्र श्रांतरिक सामंजस्य बनाए. रखने का प्रयास करता रदेगा ।
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