मणिपुर में राजभाषा की प्रगति | Manipur Mai Rajbhasha Ki Pragati

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Manipur Mai Rajbhasha Ki Pragati by जगमल सिंह - Jagmal Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जगमल सिंह - Jagmal Singh

Add Infomation AboutJagmal Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
*स्वैथरोल कुम्बाबा” नामक हस्तलिडित इतिहास प्रथ में भी हुआ है भौर मणिपुर इतिहास मे विशेषज्ञ जे. राय भी इस दात से सहमत ई 1 श्री जे; राय ने लिखा दै कि ये ब्राह्मण मुसलमान शासकों से अपने धमं की रक्षार्थं भागकर यहाँ तक आए थे। एल. इबुडोहत सिंह ने तो अपने इतिहास में परिशिष्ट तीन मे ब्राह्मण याव्रजको के माने का स्थान, समय घौर उद्यमी दिया है और साय में यहाँ बसने के बाद उन्हें जिस -सेगाई' (वश) का नाम दिया गया उसका भी उल्लेख किया है ।? सूची बहुत ही लम्वी है । यहाँ इतना ही कहना पर्याप्त होगा कि ये आद्रजक गुजरात, ब्रन, वृ दावन, कप्नोज, मिथिला आदि विभिन्न स्थानो से आए थे। 15 वीं शताब्दी मे हिन्दी नाम बी भाषा का अस्तित्व नहीं था किन्तु हिन्दी पूबें की विभाषाएं ग्रज, अवधि, मंथिली आदि था अस्तित्व निश्चित रूप से था । अतः हिंग्दी की ऐतिहार्सिक यात्रा का प्रारभ पद्दरहवी शताब्दी से मानना हौगा, क्योकि ये ब्राह्मण अपने साथ ये भाषाएं लेकर भाएं होंगे, यह निश्चित है । दूसरा थाद्रजन मुसतमानो का सन 1606 ईं मे इमा। घम्गेवा (1597- 1652) के राज्यकाल में उसके भाई ने कछार के राजा के साथ मिलकर मणिपुर पर आक्रमण किया था । बद्धार वी सेना में मुसलमान और निम्न जाहि वे हिन्दू थे । वे वदी बना लिए गए तथा उन्हें यही बसने की आज्ञा मिल गई ।” ये संनिक पश्चिमी प्रदेशों के थे, अतः ये भी अपनी भवधाए साथ लाए होगे 1 द्राह्मण आप्रजन तो 1467 ई. से 1834 ई. तक होता ही रहा है। इस प्ररार हिन्दी वी पूर्व भाषाओं की यात्रा पन्द्रहवी शताब्दी से उन्नीसवी शताब्दी तक निरस्त जारी रही । ब्राह्मण यहाँ उससे पूव॑ भी बाएं हो तो ऐतिहासिक प्रमाण के अभाव में बहना कठिन है। फिर भी एक ऐतिहासिक सूत्र है जिससे 1467 में द्वाह्मणों की उपस्यिति प्रमाणित होती है । राजा बयाम्वा वो पोड (वर्मा) के राजा ने विष्णु दिग्रह दिया था । 1470 ई. में राजा कयाम्वा को भगवान विष्णु मे स्वप्न में दर्शन दिए और भाजशञा दी वि खीर और तुलसी दस से उनकी भजा ब्राह्मण द्वारा करवा जाए। राजा ने दूसरे दिम ब्राह्मण नी खोज बरवाई | खोज कराने से यह ज्ञात होता है वि ब्राह्मण थे विस्तु बम थे । बहुत बढिनाई से एक द्राहणण मिला जिसका नाम भानुनारायण था ।6 'शाजबुमार शलजीत सिंह ने इस सवध में लिखा है कि द्वाह्मणों के बयाम्वां वे पूवे मणिपुर में ब्राह्मण प्रवरजन वी बात मानने दे हरे दस कारण हैं । निन्तु दम राना के समयमे वाद ब्राह्मण सादजन का प्रामाणिक विवरण उपलब्ध है। आये उन्होंने यह भी बद्दा है कि बयाम्दा से बहुत पहले ही बेप्णव साहित्य मणिपुर वहुँच गया था । 700 ई- के आस-पास मणिपुर : दिन्दी वो ऐसतिदासिक याता 9 4




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now