पागल घोडा | Pagal Ghoda

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Pagal Ghoda by प्रतिभा अग्रवाल -Pratibha Agrawalबादल सरकार -Badal Sarkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पमना घोडा का प्रयम मंचन भ्मियान टिल्‍नी दारा सितम्बर सन १६६९ मे किया गया । निर्देशक थे श्री टी० पी० जन श्रौर विभिन्त भूमिकाभ्रा भये सवनी टी० पौ० जन (कानिक) शाम भरोदा (शशि) मशोक सरीन (सातू) युशील चोपडा (हिमाद्रि) भ्रौर सुधा शिवपुरी (लडकी) । इसके वाद थियेटर यनिट बम्बई भौर झनामिका कलकत्ता द्वारा इसके सहहवप्रण रदशन हए! पयता धोडा का बगला म प्रथम मचन सन १६७१ मे बटुर्पी के तत्वादधान में श्री शभु मित्ने के निर्देशन से हुमा! नाटकों के राष्ट्रीय वायसम के अतगत इस समस्त मारतीय भाषाग्ों मे रेडियो से प्रमारित याजा चुका है । भनामिका कसकत्ता द्वारा इसदा प्रथम मचन साच सन १६७१ में हुमा जिसमें सबधी श्यामानद जादान (सातू) भारित्यविशम (कार्तिक) विमल लाठ (शशि) शिववुमार शुनमुषवाला (हिंमाद्धि) झौर मामा पप्रदाल (लड़की ) ने प्रभिनयदििया। दाह से समर गुप्ता (कातिव ), रवि दवे (शशि) सोतोशकर पंचाती (सातू) भौर वीणा दीक्षित (लडकी) ने भी भ्मिनय दिया । सचस जा श्रा खादिद लोधरी, पालोक थी तापस सन भौर नितेशन थी श्यामानद जालान का था ।




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