हमारे सांस्कृतिक पर्व त्यौहार | Hamare Sanskritik Parva Tyohar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रामनवमी : ७
गभिनव जोवन जाप. जाते हैं। ऐसी बेला में ऐसे समय में भगवान राम का
जो मर्यादा पुरुपोतम है, अवतरण फितना उत्तम कितना पत्रित्र और कितना
प्रेरक होता हे--यह सोघने-विचारने को वात हैं ।
रामनवमी के दिन नाचने, गाने, जागरण करने, भवितिपूर्वक पुस्तक पाठ
करने और रामभवतों के पूजन करने से राम के लोक की प्राप्ति होती है। जंसे
किसान लोग कृषि की वृद्धि के लिए वृष्टि चाहते हैँ, बसे पितर छोग धी राम-
नवमी का ब्रत चाहें हैं। रामनवमी का उपवास करने से सैकड़ों, हजारो और
करोड़ों पाप नष्ट हो जाते हैं । जो रामनवमी को कथा श्रवण, कथन भीर सस्मरण
करता हैं बहू ऋद्धिमान, बुद्धिमान, घर्मवान, कीतिमात और सुखी होता हैं !
सबको सारे कप्ट उठाकर इस ब्रत का पालन करना चाहिये । कभी सागर भी
सूख जाता है--हिमाल्य भी क्षीण हौ जाता है, परन्तु रामनवमी से प्राप्त पुण्यो
कां क्षय कदापि नहो होता । कहा जाता हैं कि राम से बढ़कर (राम के) नाम का
महत्त्व हैं । राम नाम पाप धोने वाला तथा. सीता नाम विपत्ति विनाश करने
वाला हैं । सीताराम के उच्चारण से हो मानव समस्त लोक-परलोक सुखाधि-
कारौ हो जाता ह “रा” कहने से मुंह खुलता है । मुंह खुलने के साथ सकल पाप
बहिर्गत ही जाते है। भौर “'म'' कहने से मुंह बन्द होता है भौर इस प्रकार
सभी पुष्य राम कहने वाले का अपना हो जाता हूं। और सीताराम इसके
उच्चारण मात्र से मानव जन्म-जन्मान्तर और कश्यान्तर के लिए उन्हीं का
(सोताराम का) हो जाता है ।
राम के नाम के साय सहस्रों कथाएँ लगी हैं । यह भारत का प्रसाद हैँ ।
इन कथाओं में दो अत्यन्त प्रसिद्ध है । पहली कथा प्रज्ाद की हैं। प्रज्लाद के
पिता हिरण्यकश्यप ने उसे रामनाम लेने के कारण मौत के घाट उतारना चाहा 1
उसे पहाड़ से गिराया, आग में जलाया और वध कर देना चाहा । प्रह्लाद फिर
भी रामनाम छेता रहा । अन्त में भगवान का अवतार हुआ । राक्षस मारा गया
गौर प्रह्लाद की रक्षा हुई। दूसरी कथा हनुमान की हैं। हनुमान सुग्रीव का
सेनानायक था भौर भगवान राम का परम भक्त । उसे रामनाम विहीन कोई
वस्तु प्यारी नही थी । जब रामेश्वर सेतु वाँधा जा रहा था बह प्रत्येक पत्थर पर
रामनाम लिखकर डालता था । केका विजय के वादे ज्र सीता जी मे उत्ते बहु-
मूल्य मोतियों की माला प्रदान की तो उसने प्रत्येक मोती की तोड़-तोडकर देखा
कि उसमें राम नाम लिखा हैं कि नही । और सीता के यह पूछने पर कि उसके
हृदय में रामनाम लिखा है कि नहीं उसने छाती फाडकर दिखलाया कि हृदय
पर रामनाम अक्ति ह! रामनाम हमारी जिह्वा पर गजता है हम रामनाम
रूपी नौकासे मवसापर पारकर स्वर्गलोक के अधिकारी बनतें हैं । रामनाम के
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