सदाचार और शिष्टाचार | Sadachar Aur ShishtaChar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
339 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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No Information available about रामप्यारे त्रिपाठी 'किशनपुरी'-Rampyare Tripathi 'Kishanpuri'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सदाचार श्रौर शिष्टाचार
निर्भर ह । सारे कुटुम्ब की अभिलापाये यही दे, पर दा ! शोक !
बह् तो स्वयं अपनी ही सहायता के लिये रो रहे हैं। उनके
शरीर में इतनी भी शक्तियाँ शेष नीं रद् गई कि बह संसार के
मैदान में उतर कर जीवन संप्राम रचा सकें और अपने पोछे
चलने वाले परिवार का पालन पोषण कर सकें ।
संसार में रहने के लिये, प्राणी मात्र को जीवन शक्ति की
अत्यन्त आवश्यकता होती है। शक्ति ही सब कुछ है। जो
व्यक्ति शक्तिशाली है वद्दी सब कुछ है। संसार में सम्पत्ति ओर
सुख तो हर प्रकार प्राप्त हो सकता है. परन्तु शक्ति का प्राप्त होना
बढ़ी टेद़ी खीर है । प्रायः देखा नाता हे कि सम्पत्ति तो साहस
दौर शक्तिके पीछे दौड़ा करती है । जिन लोगोंने अपनी सम्पत्ति
को लुदा दिया है और शक्ति की रक्षा की है वे दरिद्र होते हुए
भी घनी और सुखी हैं. निर्धन होते हुये भी सम्पत्तिशाली हैं ।
उन्हें संसार की भयंकर से भयंकर परिस्थितियाँ भी उचित मार्ग
से बिचलित नहीं कर सकतों । वे सदेत्र अपने स्थान पर उच्च-
स्वर से सिंहनाद किया करते हैं । अतः यह सिद्ध है कि
मानव जीवन कं लिय शक्ति संचय करना परमावश्यक है।
हमारे धर्म शास्त्र दौर प्राचीन पुस्तकें शिक्ता-कोष हे ! धवं
पुरुषोंने उनके अन्दर झपनी अनुभव-संचित घन राशि इकट्री कर
रक्खी हे परन्तु अविद्यान्धकार और कुशिक्षा की कृपा से हम उन
बातों पर ध्यान नहीं देते श्रौर न उनसे किसी प्रकार की शिक्ता
क.
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