वेदांत कुंजी तथा भजन मुक्तावली | Vedant Kunji Aur Bhajan Muktavali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
274
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६ 9)
विषय में किसी की ' भी तप्ठि अद्यावधि सुनने में नहीं
प्यारे ।'
फलस्वरूप उधर से भगवास् इन्द्र ने सन्तोप-प्रद
वषा करके वसुन्यरा फो तपन किया; इधर से झापने भी
ध्वेदान्त-ङजी' कौ पीयुषधारा से समस्त परमानन्द के
प्यासे जिज्ञासुशं को दृप्त किग्रा । इस ग्रन्थ को यापे
जगद्-कल्याण के लिये हिन्दो भाषा में लिखा है । इसमें
वेदान्त-मिद्धान्तो का प्रतिपादन बड़ी ही सरल युक्तियों
तथा सुचारु रूप से किया गया है। यद्यपि वेदान्त के
झनेकों ग्रन्थ सस्कत एवं हिन्दी मं उपलन्ध है, तथापि
संस्कृत के ग्रन्थों से जनता का विशेष उपकार नरी हे;
क्योंकि बतसान सप्रय में यह मापा किसी-किसी की है,
सो भी गोण रूप से । और हिन्दी के ग्रन्थ भाष, युक्ति
शव प्रमाणों की विशेष जटिलता के कारण सर्व-साधारण
के लिये दुबेध से हो गये हैं । परन्तु इस प्रकृत ग्रन्थ में
इन सब दोर्ण से बचने के लिये {शेष ध्यान दिया गया
है । भला, कटु शौषथोपन्चमनीयस्य रोगस्य सितरकरा-
चयुपश॒सनीयस्वे कस्य वा रोभिणः सित शकंरादि भेदततिः
साधीयसी न स्यात् “कड़वी औषधियों से शान्त होने.
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