नारी जीवन | Naari Jeewan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
364
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८.
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शी १4
श्र ॥॥ रे
भारतीय नारी
ष्टिः
१ प्राचीन काल मैं स्त्री
किसी भी समय, किन्ड्ी भी परिस्थितियों में तथा किसी भी
समाज में खियों का स्थान सर्देव मदत्त्वपूरण है। मनुष्य के
व्यक्तिख का निमौण छसे मे उन्दी का हथ रष्वा दै भौर षी
व्यक्तित्व समाज व राष्ट्र का निमोण करता दै । परोक्ष रूप में
राष्ट्र की उन्नति व छवनति ख़ियों की स्थिति पर दी झवलंधित
हैं | झगर समाज मे खियाँ शिकित, घुयोग्य गृष्िणी ष श्रादशं
माता हैं तो संतान भी गुणवान्, वीर तथा वुद्धिशाली होगी ।
भारतवषं सदेव समाज में दियो को स्वपरं स्थान देता रहा
है। सीता, सावित्री के झादश किसी भारतीय से छिपे नहीं ।
स्वामी षिवेकानन्द # शब्दों मे-
“जियो री पूना करके हौ सथ जात्यं वदी हृद हैं ।
जिस देश में, जिस जाति में, खियों की पूजा नहीं होती बह देश,
वह ज्ञाति, कभी बढ़ी नहीं हो सकी थौर न हो सकेगी । तुम्हारी
ज्ञाति का जो इतना श्रषःपतन हा है उसका प्रधान कारण है
इन्ध सब शक्तिमूर्तियों की झवसुनना” ।
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