राष्ट्र - संघ और विश्व - शान्ति | Rastra-sangh Or Vishv-shanti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
368
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सुमिका
मैं श्री यादवेन्दु की पुस्तक 'रा्ट्रसंघ ओर विश्व-शान्ति' के लिए
बे हषं ॐ साथ प्राक्षयन लिख रहा हूँ । ययपि राष्ट्रन्संघ को स्यापित
हुए कहे व हो गये और झन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक-संघ तथा निःशखरीकरण-
सम्मेक्षन की कार्यवाही समय-समय पर समाचार पत्रों में प्रकाशित
होती रहती है; पर जहाँ तक मै जानता हूँ, यह हिन्दी मे पहली
पुस्तक है, जो इन और इनसे सम्बद्ध अन्य आवश्यक विष्यो का वंन
करती है । चणन भी बहुत विस्तृत है और सुमे विश्वास है कि पुस्तक
का ऐतिहासिक और वणेनात्मक अंश च केवल साधारण पाठको वरन्
पत्रकारों और राजनीति के विद्याधियों के लिए भी उपयोगी अतीत छोगा ।
किसी विषय की पदली पुस्तक को पूर्ण और उपादेय बनाना लेखक के
लिए तारीफ की वात है । श्री यादवेन्दु ने जो अवतरण दिये हैं और
घटनाओं का जिस प्रकार पारस्परिक सम्बन्ध दिखल्ञाया है ; उसीसे
उनके अध्ययन का विस्तारं परक्ट होता है ।
पुस्तकं का दूसरा माग जिसमे विश्व-शान्ति के प्रश्न पर विचार क्षिया
गया है, इससे भी धिक महव रखता है! यो तो पथम भाग मेही
लेखक ने राष्ट्र-संघ की कार्यशेज्ली की जो झालोचना की है, उससे यह प्रकट
हो जाता है कि वह उसके संगठन और उसकी पद्धति से सन्तुष्ट नही हैं ।
उन्होंने यह बहुत अच्छी तरह दिखला दिया है कि इस समय राष्ट्रसघ
विजयी महाशक्तिया का गुट है और मुख्यतः उनकी ही स्वाथं-सिद्धि का
उपकरण है ! मदायुद्ध के बाद वर्सङ्स की खन्धि जमेनी के सिर पर
जबरदस्ती लादकर उसे शताद्दियों तक के किए दीन और दुबेल
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