राष्ट्र - संघ और विश्व - शान्ति | Rastra-sangh Or Vishv-shanti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Rastra-sangh Or Vishv-shanti by श्री सम्पूर्णानन्द - Shree Sampurnanada

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री सम्पूर्णानन्द - Shree Sampurnanada

Add Infomation AboutShree Sampurnanada

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सुमिका मैं श्री यादवेन्दु की पुस्तक 'रा्ट्रसंघ ओर विश्व-शान्ति' के लिए बे हषं ॐ साथ प्राक्षयन लिख रहा हूँ । ययपि राष्ट्रन्संघ को स्यापित हुए कहे व हो गये और झन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक-संघ तथा निःशखरीकरण- सम्मेक्षन की कार्यवाही समय-समय पर समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रहती है; पर जहाँ तक मै जानता हूँ, यह हिन्दी मे पहली पुस्तक है, जो इन और इनसे सम्बद्ध अन्य आवश्यक विष्यो का वंन करती है । चणन भी बहुत विस्तृत है और सुमे विश्वास है कि पुस्तक का ऐतिहासिक और वणेनात्मक अंश च केवल साधारण पाठको वरन्‌ पत्रकारों और राजनीति के विद्याधियों के लिए भी उपयोगी अतीत छोगा । किसी विषय की पदली पुस्तक को पूर्ण और उपादेय बनाना लेखक के लिए तारीफ की वात है । श्री यादवेन्दु ने जो अवतरण दिये हैं और घटनाओं का जिस प्रकार पारस्परिक सम्बन्ध दिखल्ञाया है ; उसीसे उनके अध्ययन का विस्तारं परक्ट होता है । पुस्तकं का दूसरा माग जिसमे विश्व-शान्ति के प्रश्न पर विचार क्षिया गया है, इससे भी धिक महव रखता है! यो तो पथम भाग मेही लेखक ने राष्ट्र-संघ की कार्यशेज्ली की जो झालोचना की है, उससे यह प्रकट हो जाता है कि वह उसके संगठन और उसकी पद्धति से सन्तुष्ट नही हैं । उन्होंने यह बहुत अच्छी तरह दिखला दिया है कि इस समय राष्ट्रसघ विजयी महाशक्तिया का गुट है और मुख्यतः उनकी ही स्वाथं-सिद्धि का उपकरण है ! मदायुद्ध के बाद वर्सङ्स की खन्धि जमेनी के सिर पर जबरदस्ती लादकर उसे शताद्दियों तक के किए दीन और दुबेल




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now