सरित दीप | 1332 Sarit-deep; (1942)
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तरीय स॑ २७ |
कहे देंगे उसको 'अल्दढ़' एक शब्द में,
थी खडी हुई प्ट पकडे द्वारं मध्यम,
आँखों ने पूछा मानो थाओगे कब,
रह गईं खुली ही उत्तर के दवित वे तब ।
बहू चित्रकार सुन्दरता निरख रहा था,
र्गाग श्रदुल, शांखों से परख रहा था,
हता जो भी शज्ाग पुलक भर देता,
दूलिका फेर कुछ जीवित सा कर देता ।
१.
लो छूए उसे ओष्ठ मधुर युग भ्रव ही,
सुस्कान भरी आ उन होटों में तब ही,
लो. फेरी झंधा-बुंध तूलिका सिर पर,
हिल पढे वायु में झदु कतल हरा कर!
थं भर देता था जीवन बह णण में,
थीकला चित्र के एक एक कण-कण में,
उस कलार के कर दिलते शच ऐसे,
चलती है. शफरी सलिलप्राशि में जैसे
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