दिनकर | Dinkar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
246
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about भुवनेश्वरनाथ मिश्र (माधव) - Bhuvaneshvarnath Mishra (Madhav)
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रवेश ४
परल्यां वैनां च डाकिन्यां भीमशङ्करम् ।
सेवुषन्धे तुः रमेशः नागेशः दादकावने ॥२॥
चराणस्यां तु विश्वेशः चयम्यकं गौतमीतटे
हिमालये त केदारं घुश्मेश च शिवालये ॥३॥
पतामि ज्योतिलिज्ञानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।
सक्तजन्मरुततः पाप स्मर्शेन चिनश्यति ।भ*
इन् ज्योतिलिद्धो के सायंप्रात्तः पाठ करने से सात जन्मों के पाप नष्ट दो जाते हैं ।
पाप नष्ट होने में किसी को शंका हो सकती हैं लेकिन इन श्लोकों द्वारा राष्ट्र के
ऐक्य का प्रतिपादन होने में कोई «देश नहीं कर सकता | झाज भी प्रत्येक आर्य
संकल्प करते समय “जम्बूद्ीपें भरत - खण्डे,.. ...” का स्मरण करता है। स्नान
करते समय गया, यमुना, सरस्वती, सिन्घु, कावेरी, गोदावरी श्रादि भारतीय नदियों
के नासों का सामूहिक रूप से स्मरण करता है । राष्ट्र-प्रेम का झर्थ है , उसकी
नदियों; प्वत्तों, तीयों. झ्रादि से प्रेम । आधुमिक काल में छिछली राजनीति को
प्राघास्य मिलने के कारण बंगाल-विहार की समस्या उठ खड़ी होती है !
4,
यों की इस पवित्र भरूमि का श्रत्यधिक प्रचलित नाम मारतवर्ष है । पुराणों की
प्राचीन बंशावलियों में ऋषभ श्रौीर उनकी पत्नी जयन्ती के नाम श्राते हैं। इनके एक
सी पुत्र थे । सबसे बड़े पुत्र का मास भरत था | व्वष्य के युत्र विश्वरूप की कन्या से
भरत का रवाह हृश्रा । इन्द पाच पुत्र हुए-- सुमति, राट्-भूल, सदशन, यावस्ण
श्रौर घूमकेतु । राजा भरत के नाम पर ही इनके राज्य का नाम भारतवर्ष पढ़ा |
भरत की मृत्यु के उपरान्त उनके पांचों पु्रों ने भारववष को पाँच भागों में बाँट
लिया । उक्त कथच् की सत्यता के लिये निम्नलिखित पुराण द्रष्टव्य ई : - भागवत
पु० { ५४ 1, वायु पु° [ २।३३ 3, लिड चुन [ ४७२४ 3 और विष्णु पुराण
[ २१।६३२ } | इख सिलसिले में यह भी जान लेना श्रावश्यक है कि मारतवष
का नाम इसके पहले श्रजनाभवष था ! वैदिक साहिस्य में राजा प्रथु के नाम का
कई वार उल्लेख डुश्रा है। यह श्रादि राजा कहलाते हैं । इन्दं के माम पर इस
घरती का नाम प्रथ्वी पड़ा । राजा प्रथु झपने को भरत भी कहा करते थे। संभवत्तः
इनके साम से भी इस देश का नामकरण मारतवष' हुश्रा हो । दुष्यंत-शकुन्तला
के पुत्र भरत के नाम से इस देश का नाम भारतवष' हुश्रा--इस वात से सर्व-
५ साधारण में परिचित है । ऋग्वेद के कई स्थलों पर मस्त नाम के कुल या बंशों का
उल्लेख भिक्लता है छेद के तीसरे श्रौर सातवें मश्ठर्लो मे व शरीर सुदास
के साथ तथा छे मर्ल म दिवोदास के साथ भारतो का वणन श्राया दईैः-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...