किसान और कम्युनिस्ट | Kisan Or Communist

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Kisan Or Communist   by प्रो० रंगा- Prof. Ranga

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(६ ) सर्वदाय का नेतृत्व स्वीकार करें , अपने लिये नहीं वरन्‌ सर्वहारा के लिये शक्ति लाने का उद्योग करे श्रौर वाद में छुछ ॒श्रार्थिक रिश्रायतों के किये स्वशक्तिमान सर्वदाय की भथेना करें निसका नेतृत्व कम्यूनिस्टों के दाथ में हो । यह उन सव्र लोगो के लिये खुली चुनौती थी जो किसान-बर्ग के थे रौर जिनको सर्यहारा की तानाशादी के दिनो मे स्ख मे किसानो की दयनीय श्रवस्या का क्ञान था आर इसलिये उन्होंने भारतीय किसानों को उस दयनीय स्थिति से बचाने का निश्चय किया जिसमें रूस के किसान पढ़े थे श्रौर निश्चय किया कि किसानों को निश्चित शरोर पर्याप्त शक्त दी जाय } हमने अम्यूनिस्टो की चुनौती स्वीकार की ! पलासा-अधिवेशन में गया-प्रत्ताव ही दुहराया गयां दम चाहते थे कि पलासा में गया का किसान-मजदूर राज का प्रस्ताव दुदराया जाय | कम्यूनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधियों ने इसका घरी तरह विरोध किया | स्वामी सहजानंद सरस्वती ने भी कम्यूनिस्टों की “सहायता का प्रयत्न किया पर सच व्यथ हुआ । किसान-कांग्रेस-वादियों . ने झपने नीतिपूर्ण .बहुमत से फिर गया-प्रस्ताव को पास कराया श्रौर झपने सिद्धान्तों की रत्ता की । | नीतिपूर्ण बहुमत का ताये यह है कि सदस्यो था प्रतिनिधियों - ( उरलीगेटो ) की संख्या के चावज़ूद उस प्रान्त के प्रतिनिधि दुसरे प्रान्तों के प्रतिनिधियों में संख्या में बढ़ जाते हैं, क्योंकि दूर-दूर -प्रान्तों के लोग प्राय: कम ही आते हैं । स्वतंत्र सारत में किसान-मजुदूर राज्य ` इस प्रकार यह श्रधिकाधिक स्पष्ट होता जारदद था कि 'किसान | कांग्रेसवादी; जो किसान वगें से दी सम्बन्ध रखते थे श्रौर किसानों के




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