घनानंद | Ghananand

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Ghananand by राम वशिष्ठ - Ram Vasishth

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ २ ~ न ~~ मे उनकी रचनाश्रो मे चिखरी घटनाओ तथा समकालीन श्रन्य ग्रन्थो काही सहारा लेना पडता है | रीतिकाल के न्वच्छन्ठं कवि घनानन्द भी इसी प्रकार के कवि हैं जिनका जीवन दत्त भी जनश तियो, ग्न्य कवियो की रचना ग्रथवा दतिहासकारो की खोजो के श्रावार पर ही श्रवलम्बित है । दस प्रकार ग्रनुमान टी के श्राधार वर दनका जन्मकाल, रचनाकाल ग्रौर मृष्युकाल विभिन्न विद्रानो ने निश्चित किया है । यही कारण है कि विभिन्न विद्वानों के मतो मे साम्य नहीं । इसके श्रतिरिक्त दनके नाम के विपय में भी अनेकों सन्देह चिद्वानो ने उत्पन्न किये हैं जिसका मूल कारण यह भी है कि ग्रनुसन्धान कर्त्ताओं को जो कविता उप- लव्ध ड हं वह्‌ तीन नामो से हे--श्रानन्द, श्रानलघन श्रौर घनश्रामल | यह नाम निस्सन्देह किसी भी विद्वान कौ भ्रमसे टाल सकते हैं । यही कारण है कि कुछ विद्वानों ने तो टन तीनो को घनद्यानन्द के ही नाम के लिये मरयुन्त हुद्मा माना है । कुछ पिद्वानों ने द्ानन्द को घनद्ानन्द शोर ्ानन्द- घन स प्रथक मान है | क्योकि घ्रय्रानन्द का जीवन व्रतत फिम््रदम्तियो के सटारे ही निर्मित क्या गया है इसलिए एक प्रामाणिक जीवन ब्रत्त उसको नहीं माना जा सकता । कुछ दिद्वानो ने जेनममी श्रानन्दघन को भी श्रानन्द- पन दौर घनानद के नाम से जोड़ने का प्रयत्न म्या हैफ्न्तु यह ठीक नहीं ग्योकि जनममी द्ानन्दपन सा नाम लाभानन्द नी था | यदि चुछ स्थलों पर डपकी र्चतायो से विदारसाम्य है भी तो यह कोई विशेष महत्व की बात नहीं । ट्स प्रकार ताव्रिचार सम्म भनिङान्‌ की वृष्गयाग के ग्रनेमी क्ियोमे पाया जाना टं । नीचे हम मिन्तार पूर्वक विभिन्न फिम्चटतिथों को बैेज्ञानिक हूँ र. मे पन्नं केरे थना करै जीवन्न को देवने का प्रयत्न उने । ~~~ विभिन्न जनश्रतियाँ: --- रे पिपय से व्येका किम्बदनिया मरौर लफश्नियाँ प्रचलित थीं | सनक थिषिय दिद्ानों से पति के जीयप को प्रस्तुत करने सं ५, ^ £ । फपियी वन म म म तरः ण तृ“) [नतान्‌




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