पलासी की लड़ाई | Palasi Ki Ladai

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Palasi Ki Ladai by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पलाभौकौ लड़ाई । ९९ अधिक अद्धरेन नद्धीथ। इसमे मन्दे द, [किं द्रनमे प्रहृत रगलम कोई था या नो ।. किलेसे कई शिचित सिपादो थे। कलदार्च में च्रूरत एडरपर लकन लायक कितने उरोपवामी व्यौर देशवासी धे किन्त उन्टोने जङ्गौ कार्मोकौ इमी शिक्षा नहीं पाई थी। कितने छो बन्दूकका सौधा उलटातक नहीं क्ानते थे। * किलेकी फोज गौर वाष्टरको रसाली फोलमसें सव सिलाकर कुल ५९४ सिपाछी थे। ग्रद्धरके कोई 5 हजार आदसियोन व्याकर किलेमे आश्रय लिया। दम मपे रैम जवरदस्त नष्टा घा। जितनी वारूदादि घौ, खमते पूरे तौन द्टिनि भौ मामनाक्िया नष्टौजामकताघा) नो कुद घा उमम अधिकाण पुराना गला पचा। नोपोको गादी नं था। कितनी छी निकसम्नौ तोपे किलेकगि दैेवारकं णाम परसै छी | मन्यतां निचे बखर गौर सन्द्रज गादसम मन्नेग्येचे, किन्त वष्ट समयपर मष्टावता गरा पु चनेकी सम्भावना विरी तर की नहीं जा सघाती थी । उच चौर परान्सोनि्योमि स्ायता सागो गड़ थी । खष्वौने रुष्टायता रमम इनकार कर तय था। पुस्सीसी राजी र ये मषी किन्तु उन्होंन 'अट्रेंजोंवो कलकत्ता दोडकर चन्द्रनगर चरे जानेफे लिये का घा। व्यवश्य हो इस प्रस्ताव यङे सम्मत नष्ट त्। इसे मसमय नवावने स्प उप गौर फान्सीसियों से स्रायता सारौ णौ किन्त मिलो नों। नवाव मन को सन म ₹ दस हो 11101 ३९15.




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