कृष्ण चरित | Krishna Charit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
549
श्रेणी :
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No Information available about वन्किमचंद्र चट्टोपाध्याय- Vankimchandra Chattopadhyay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नेका सप्तय मिलेगा । जिस देवमन्दिरके बनानेकी उच्च भिला-
घासे दो दो चार चार ईटें मैं इकट्ी कर रहा हूं, वह बना सकूंगा,
यदद जाशा अब नदीं है । जिन तोन निवन्धोंको आरम्भ किया
उन्हें भो समाप्त कर सकूंगा या नहीं, यह जगदीश्वर जाने ।
सब पूरे हो जाय॑ तब छापूंगा, यह सोचकर बेट रदनेसे कदाचित्
पक भी निबन्ध न छप सकेगा। क्योकि खमयासमय सभी
कामोंके लिये हैं। इसीलिये कृष्णुचरित्रका पहला खण्ड अभी
फिर छापा गया। इस तरइके पांच छः खरडॉमें शायद यदद
समाप्त हो सकता है। परन्तु सब्र काम समय, शक्ति और
ईश्वरके अनुप्रहके अधीन हैं ।
अनुशीलन धम्मके पुन द्रित हो जानेपर कष्णचरिन्र फिर
छपता तो अच्छा होता। क्योंकि “अनुशीठन धम्मे जो
केवल “तत्व है कृष्णचगत्रमे वह देदविशिष्ट है । अनुशीलनमें
जो आदश मिलता है छृष्णचरित्र करम्मक्षेत्रका वदी आदं है ।
पहले तत्व समकाया जाता है पीछे उदाहरणसे वह स्पष्ट किया
जाता है। कृष्णचरित्र वही उदादरण है। पर अनुशीठन धम्में
समाप्त किये बिना पुनर्म द्वित न कर सका। समा होनेमें भी
अमी विलस्वब है ।
श्रीवद्धिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ।
दूसरी बारका विज्ञापन ।
छुष्णचरित्रके पहले संस्करणमें दे चल महामारतकी कृष्ण-
कथाकी भालोचना हुई थी। वह भी थोड़ी खी। इस वार
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