नीर क्षीर | Neer Ksheer
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
206
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वे राजनीति के भीडे हैं / 17
दीजिए, चौक पर खड़ा कर दीजिए, पान ठेसे पर यडा कर दीजिए--वे
सिद्ध बर देंगे कि वे केवल वो हैं 1
इस बार जिन कीडो बा मैं जिक्र कर रहा हूं, वे स्पेशल वेरायटी
वाले बोडे हैं। उनगा बोडरव तभी जापुत होता है जब देश में घोई बहुत
खड़ी पटना हाती है । जहौ तक मुझे याद भा रहा है, फेयरफेबम ओर
बोफोर्स मे दिनों मे उनवा बीडापन इतना जागृत हो गया था कि उठाने
नगर वा एक-एक आदमी छाँट कर शुदठरा था । उनके सीभाग्य से फिर
“राष्ट्रपति चुनाव आ गए । वस उसी दिन से उनभी बीडागति इतनी तेज
हो गई है कि कड्रोल में नहीं आ रही है । कुछ कढ्राल में आने को होती है.
वि कोई न कोई इस्तीफा दे देता है। अब आप ही बताइए, मे कड नही
“रहेंगे तो बया वरेंगे 1
जिस टिन विद्याचरण, आरिफ माहम्मद और अरुण नेहरू को
'राजीवजी ने हटाया, उसी दिन वे हमारे पास आए। बोले--आपको एक
राज की बात बताना हूँ । मेरा तजुर्वा कहता है कि यह मिलीमगत है ।
क्से?
यह ती आपस में पहले से तय था । राजीवजी ने पहले इन लागो
था वह दिया था दि आप लोगो को हटाऊँगा लेक्नि आप चिंता विल्पुल
मत करना ।
-एेसा क्यो बहा था राजीवजी ने *
“गो इतना नहीं समझे, भई राजीवजी को पता लगाना है कि उनके
'विरोध में कितने लोग हैं जो असतुप्ट हैं । जैसे ही ये लोग अलग होंगे, सभी
असतुप्ट इनके साथ हा जायेंगे । देखना ठीन दिनो में वे चहें फिर मे
अपने साथ शामिल कर लेंगे ।
अब पूरे शहर मे हवा फैल गई। मे हर जगह जति भौर भने रान
नीतिर ज्ञान का परिचय देते ।
तीन दिन बीत गए त्तव मैंने उ हैं घेरा । इघर विद्याचरण की लड़ाई
खुल कर सामने आ गई थी । मुझे तो विघटन के भातार नजर था रहे
थे ! इसी बीच अ्जिताभ बच्चन के खिलाफ जाँच के आदंश भी हो गए
ब्और अमिताभ ने लोकसभा मी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया ।
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