बीस स्थानक तप विधि | Bees Isthanak Tap Vidhi

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Book Image : बीस स्थानक तप विधि  - Bees Isthanak Tap Vidhi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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छर्ततकना * ' बह तो सत्य है कि प्रत्येक मनुष्य का उद्देश्य किसी न किसी प्रकार से सर्व साधारण को सनमागग दिखाकर उन्हें सुखी खनाने का होता है । उसी तरह इस पुस्तक का ध्येय भी यहीं है भ्रव प्रदन यह है कि सुख किसे कहा जाय । क्या भरत चक्रवर्ती की तरह राजसुख को सुख कहा जाय? झथवा लक्ष्मी का स्वामी बन नाना प्रकार के भोग विलास को सुख कहां जाय? झादि । वास्तव में देखा जाय तो इनमें लेशमात्र भी सुख नहीं हैं बयोंकि ये नाशवान है तथा ग्रात्मा के साथ सदा इनका संबंध नहीं रहने वाला है। फिर सुख किस तरह प्राप्त हो सकता है? परमोपकारी श्री तीर्थकर देव ने भरने श्रव्यावाघ सुख प्राप्त करने के लिए दान, शोल, तप रीर सावना चार्‌ प्रकारके घमं को सेवन करने के लिए प्रतिपादित किया है । पूर्णरूप से इस चतुविधि धर्मे का सेवन करने थाले प्राणी को ्रनुक्म से उपरोक्त सुख प्राप्त होता है 1 इस पुस्तक म उपरोक्त चार प्रकार के धर्म के श्रन्तर्गत २० स्थानक के तप को प्रघान स्थान दिया गया है । इन सिस्न ३ बीस स्थानक पदको झाराधना से किस २ को क्या २ फल भप्त द्रा, तत्सम्वत्घो हरेक पद की अराधना करनेवाले महापुरुष की कथा का वर्णन किया गया है! वर्तमान रथ तीथेंकरों ने भी एवं भव में इन स्थानको को आराधना कद जिन नास कमें का उपार्जन किया था । ~




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