देश - दर्शन ब्राज़ील - दर्शन | Desh - Darshan Brajil - Darshan

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Desh - Darshan Brajil - Darshan by रामनारायण मिश्र - Ramnarayan Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ब्राजोल-दशन नाम से ! यही श्रेसील आगे चल कर अंग्रेजों के हारा त्राजील के नाम से पुरारा गया । इसके पश्चात्‌ सन्‌ १५०४ ई० में फ्रांस के एक नाविक डी गानेवील ने इस देश का भ्रमण किया शोर उसी समय से पुतंगाल के जहाजोने इडीज के साथ अपना व्या- पार सम्बन्ध आरंभ कर दिया । सन्‌ ९५१५ ई० में मेगेत्तिन ने राय को खाड़ी में कुछ सप्ताह रहकर अपना अनुभव प्राप्त किया। सन्‌ १४०३ ई० से फ्रांसीसी संधि ने लगातार यह प्रयत्न करके आरम्भ किया कि वें ब्राजील पर अपना अआधिपत्य स्था- पित कर सके । सन्‌ १५२६ ई० में चन की झपने प्रयत्न में कुछ सफनता मिली परन्तु उसी समय पुतगालियों के एक जहाजी बेड़े ने उन्हें वाहिया की खाड़ी में पराजित कर दिय। । फान्सी सियों ने पहले पर-नाम्दकों पर भी जो पुतगालियों के अधीन था अधिकार कर लिया था । परन्तु उसको भी पुतगालियों सन्‌ १५३० में ले लिया । सबसे पहले परनाम्बूकों की यात्रा विन्जान ने की थी । परन्तु कंबरल पहला पुतगाली था जिसने यहाँ पर निश्चित रूप से अपना झधिकार किया ! सन्‌ ११३० ई० में सबप्रथम एक ँप्रेज् ने व्यापारी जिसका नाम हाकिन्त था परनाम्बूको की यात्राकी । उसी ने इंगललैरुड मरोर ब्राजील के बीच ब्यापार आरम्भ किपा । जो ्ाडाम्ब बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है । हाकिन्सने भपनी यात्रा एक बहुत छोटे ज्द्दाज़ से जिसका नाम मध्य पोल था 'झर २५० रु से आरम्भ की ? इसी जहाज से उसने एक इंडियन अमीर को इंगलैरड पहुँचाया । जिसको उसने हेनरी झष्टम के सामने ह्वाइट हाल में पेश किया । इसी समय से अग्रज्गों का न्राजील ( १६ )




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