हृदय के बंधन | Hridaya Ke Bandhan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
39 MB
कुल पष्ठ :
458
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५
के हर रूप के प्रशंसक हैं ।” श्र मो० नियोशे ने श्रपनी पुत्री द्वारा बनाए गए
मैडोना के चित्र पर अर्थभरी दृष्टि डाली ।
„ न्यूमैन ने हंसते हुए कहा, “मैं फ्रेंच में बात करते हुए श्रपनी शक्ल को कल्पना
नहीं कर सकता । लेकिन फिर भी मेरा विचार है कि झादमी को जितना श्रधिक
ज्ञान हो उतना ही झ्रच्छा है ।”'
“प्रापने श्रपनी बात बहुत श्रच्छेढग से कही है । वाह् !
“पै समता हू कि फेच का ज्ञान प्राप्त कर लेनेसे पेरिस घरूमनेमें ्रौर ज्यादा
मदद मिलेगी ।”'
“आह, मोशियो बहुत-सी बातें कहना चाहते होगे ! कठिनाई होती होगी !
“जो भी बात मै कहना चाहता हु, वही कठिन लगती है। लेकिन क्या झाप
फ्रेंच पढ़ाते है?”
बेचारे मो ० नियोशे बड़े चक्कर में पड़ गए, पर उन्होंने और अधिक सुस्करा-
हट बिखेर दी । “मैं शिक्षक नही हूं,” उन्होंने स्वीकार किया । फिर श्रपनी पुत्री से
कहा, “पर मैं यह तो नही कह सकता कि मैं फ्रोफेसर हं 1”
“श्राप कहिए कि यह बड़ा अझधुक अवसर है,” मदामाजेल नोएसी ने कहा,
“घर बैठे मौका हाथ झ्रा गया है, एक सज्जन दूसरे से बात कर रहा है। याद
रखिए श्राप कौन हैं, क्या रहे हैं ।”'
“कुं भी रहा ह, लेकिन भाषाश्रो का शिक्षक तो कभी नहीं रहा । जितना
पटले था, भ्राज उससे कु कम ही हूं । भर श्रगर उन्होंने पूछा कि पढ़ाने की फीस
क्या लूगा, तो क्या कहूंगा ?
“वे नहीं पुछेंगे,” सदासाजेल नोएमी ने कहा ।
“जो उसे भ्रच्छा लगे, वही कहूँ ?
“नहीं, यह बात करने का खराब ढंग है|
“अगर वह पुछे तो ?”'
मदामाजेल नोएमी ने अपना बोनेट (टोपी) सिर पर रख लिया था श्रौर
उसके रिबन बांध रही थी । रिबन को सीधा करने के बाद ग्रपनी कोमल ठोड़ी
आगे निकालकर युवतो ने जल्दी से कहा, “दस फ्रांक ।''
“श्रोह् बेटी, इतना मांगने की मेरी हिम्मत नहीं है ।”'
“मत कहिए तो फिर । जब तक सारे पाठ खत्म नहीं होंगे, वह श्रापसे फीस
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