महादेवी के काव्य में प्रतीकों और विम्बों का अध्ययन | Mahadevi Ke Kaavya Me Pratiikon Aur Vimbon Ka Addhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
249
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्थापना करने मे स्वभावतः सफल होता है। व्यक्तित्व की स्वामीयता ओर
स्वचेतना का यह प्रौढ प्रमाण है। लेखन कला की भाति भाषण कला का भी
अपना एक अलग क्षेत्र ओर महत्व है! श्रोताओ को भाव-विभोर कर देने की
महादेवी जी मे अद्भुत क्षमता रही है |
सन् 1942 के विद्रोह मे उन्होने जिस अडिग धैर्य और अटूट साहस के
साथ विद्रोहियो का साथ दिया, उनकी सहायता की, उनको तथा उनके
परिवार तथा समाज को सरक्षण दिया. वह बहुत ही रोमाचकारी ओर
आश्चर्यजनक व्यक्तित्व का प्रमाण हे। उन्ही दिनो की एक घटना-विशेष है|
जोशी जी ने कहा है- “आज कल सरकार का बहुत कडा र्तख है!“ किचित
मात्र से होने पर पुलिस वाले बडा परेशान करते है। स्थिति महिलाओ के लिए
बडी भयावह है। आपको बहुत सावधान रहना चाहिए । महादेवी जी की आखे
सहसरा लाल हो गई और दृढता से उन्होने कहा - “यह सब तो मै जानती हूँ
पर विश्वास और आशा से आये हुए देश-प्रेमी विद्रोही को सहानभूति और
सरक्षण देने सरे इन्कार भी नही किया जा सकता |“.
इस प्रकार अन्याय की दुर्दमनीय स्थितियों के प्रति मन मे विद्रोह
स्वभाविक है। पर उसे क्रियात्मक रूप देने की क्षमता जिस अपराजय
आत्मदान की अपेक्षा रखती है. वह महादेवी जी की निजी विशेषता है। यही
कारण है कि उनके विद्रोह की प्रखरता जिसके प्रति अटूट आस्था की
सजलता मे बादल के बीच बिजली की तरह अर्न्तनिहित रहती है। इनके
विद्रोह मे किसी प्रकार का उद्दामं वेग, नही एक दृढ सयम हे, आग की
लपटो का उच्छवासित आवेग नही, दीपक की लौ की आलोकवाही स्निग्धता
है चमत्कारी बुद्धि का उतावलापन नही भावावेश को स्पदित करने वाली
हार्दिकता का विश्वास है)! सकोच, सदेह तथा भय पराजय का भाव नही,
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