दिल के तार | Dil Ke Taar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्वार तुम्हारा आए । प्रमु बिन कोन हमें अपनाए । टूट गए हैं तार हृदयके, खंड हुए हैं चार छृदपके, धीरज कौन धराए । प्रम निन कोन हरमे अपनाए । मनम शूल पांवम छे, दुख देते हैं दुनियावाले, उनसे कोन बचाए । प्रमु बिन कोन हमें अपनाए | नारह




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