दिल के तार | Dil Ke Taar

Dil Ke Taar by सुदर्शन - Sudarshan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सुदर्शन - Sudarshan

Add Infomation AboutSudarshan

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
द्वार तुम्हारा आए । प्रमु बिन कोन हमें अपनाए । टूट गए हैं तार हृदयके, खंड हुए हैं चार छृदपके, धीरज कौन धराए । प्रम निन कोन हरमे अपनाए । मनम शूल पांवम छे, दुख देते हैं दुनियावाले, उनसे कोन बचाए । प्रमु बिन कोन हमें अपनाए | नारह




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now