साहित्य की भांकी | Sahity Ki Bhanki
श्रेणी : पत्रकारिता / Journalism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
211
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( च )
मूल की भाँति वह नाम न जाने कितने थे गाम्भीय और
शक्ति-शांलीनता को श्चपने लघु कल्लेवर में निहित रखता है ।
कवि और उसके साहित्य से समुचित परिचित होने के लिए
इन नामों की उस व्याख्या की गहराई को नापना कितना
आवश्यक है ! रस्किन ने कबियों श्रौर उनके द्वारा सात्य की
अमर ञ्योति के अन्तदेशन छी प्रणाली पने 8088706 01 (४०
0 £8 ग6४8 प्रा; 68 नामक व्याख्यान में प्रतिपादित कौ थी।
वां उसका अभिप्राय शब्द छी भाषा-वेज्ञानिक रूपान्तांगत शक्ति
तक ही था। कुछ-कुछ उसने शब्द-शक्ति को भी लिया था।
मिल्टन की एक कविता में आये हुए 766) 10प्पत€ श्रीर
(एफ, इन शब्दों के महत्व में उसने पिछली बात को स्वीकार
किया था। इससे श्रागे भी एक बात होती हे--प्रतीकों की
व्याख्या । टेनीसन के सर गेलेद्रैड के शौये के अभी तामा
( रक्त-पात्र) की व्याख्या न तो भाषा-वैज्ञानिक विश्नषण से
हो सकती दै; न शब्द-शक्ति की ध्वनि से। 0 को इतना
महत्व क्यों दिया गया, उसमें उस महत्व की भावना कवसे
ओर क्यों आयी ? इन प्रच्छाश्नों की संतुष्टि ऐतिहासिक
दाशंमनिकता से ही हो सकती है । हिन्दी के कवियों 'औौर साहित्य
को अध्ययन करने के लिए भी इसी प्रणाली की आवश्यकता है ।
हिन्दी साहित्य के इतिहास पर कड ग्रन्थ लिखे जा चुके हैं,
कुछ विवेचनात्मक भी लिखे. गये हैं । उनके रहते हुए भी हिन्दी
साहित्य के रूप का ठीक विकास सममभ में नहीं झाता । उसका
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