प्रसाद का कथासाहित्य | Prasad Ka Katha Sahitya

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Book Image : प्रसाद का कथासाहित्य  - Prasad Ka Katha Sahitya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मई झाधघुनिक कहानी की परंपरा श्र 'प्रसाद' अन्य भाषाश्ों के झाख्यायिका-साहित्य की भाँति दिन्दो की प्रारंभिक कहानियों के मूल प्रेरक-माव मी झाश्चय श्रौर कौतूदल दो थे । जब देवकी- नंदन खत्री के ऐय्यार श्रपने श्राश्चयमय व्यापारों में हिन्दी के श्रघिकाश पाठकों को रमाये हुए थे उसी समय के श्रासपास गोपालराम गददमरों भी ब्पने नये श्राकषंण “जासूस” के साथ श्राये । जासूस” को बंगला से श्रनू- दित श्रोर मौलिक कहानियों से दो दिन्दी में छोटी कहानी, श्राख्यायिका छ्रोर गल्पों का जन्म हूश्रा ¡ राघाचरण गोस्वामी की 'सोदासिनीः नाम की कहानी, जो किसी बैंगला कहानी का श्रनुवाद थी, “जासूस' से पूव ही प्रकाशित हो चुकी थी । उन्होंने छोटी कहानियों के लिए “नवन्यास” शब्द का प्रयोग किया था, जो श्रागो चलकर अइण न किया जा सका । किन हिन्दी-कहद्दानी की जो श्रगली घारा प्रवाहित हुई उसने देवकीनंदन खत्री, गोपालराम गहमरी श्रौर राघाचरण के पूर्व-निर्देशों की दिशा न श्रपनाई | इन लेखकों ने कद्दानी को रूप देने का प्रयास किया, सफलता भी इन्हें यथेष्ठ मिली, जनता द्वारा इनका स्वागत भी हुभ्ना, पर इनके ऐतिहासिक महत्व को स्वीकार करते हुए भी श्राघुनिकता श्रोर साहित्यिकता को दृष्टि से इनको मौलिक कटद्दाम-लेखक--याधुनिड कदानी-कज्ञा का जनक-- नहीं कहा जा सकता | १६०० ३० मे सरस्वतीः ( छरी संख्या, जून ) म पं० किशोरीलाल गोस्वामी की. “इन्दुमती” प्रकाशित हुई । इसे इतिदासकारो ने हिन्दी कौ




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